श्रीलंका और भारत ने 2023 में अपने कूटनीतिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे किए और नयी दिल्ली एक बार फिर कोलंबो का सहयोगी बनकर उभरा तथा ऋण के बोझ तले दबे इस द्वीपीय देश को आर्थिक रूप से उबारने में अहम भूमिका निभा रहा है।
जब पिछले साल श्रीलंका में अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल मची थी, तो भारत ने तत्परता के साथ 4 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता के साथ उसे राहत प्रदान की।
भारत की ओर समय पर वित्तीय सहायता प्रदान किया जाना दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का प्रमाण था। श्रीलंका ने भारत की भूमिका को स्वीकार करते हुए, इस साल मार्च में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वार्ता को सफलतापूर्वक पूरा किया और चर्चा के शुरुआती चरणों के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की भूमिका की सराहना की।
भारतीय ऋण चुकाने के लिए आईएमएफ की ओर से दी गई 33 करोड़ डॉलर की पहली किश्त का उपयोग करने का श्रीलंका का निर्णय एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम था। इसने आर्थिक चुनौतियों पर काबू पाने में अपने पड़ोसी की सहायता करने के लिए भारत के धैर्य और उदारता को रेखांकित किया।
राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की जुलाई में हुई आधिकारिक भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण कूटनीतिक संबंधों को चिह्नित किया।
विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अपनी मुलाकात में तमिल मुद्दे पर भारत की चिंताओं पर ध्यान देने का प्रयास किया और इस मामले को सुलझाने के महत्व पर जोर दिया।
भारत ने द्वीपीय राष्ट्र के उत्तर और पूर्वी क्षेत्रों में राजनीतिक स्वायत्तता की तमिल अल्पसंख्यक समुदाय की मांग के समाधान के रूप में 13वें संशोधन के पूर्ण कार्यान्वयन पर अपने लंबे समय से चले आ रहे आग्रह को दोहराया।
भारत यात्रा से पहले तमिल दलों से विक्रमसिंघे की बातचीत ने राजनीतिक स्वायत्तता की तमिलों की पुरानी मांग पर ध्यान देने की ओर गंभीरता को दर्शाया।
भारत को आश्वस्त करने के लिए, राष्ट्रपति ने हस्तांतरण की योजनाओं की रूपरेखा तैयार की, जिसमें वादा किया गया कि पुलिस के अधिकारों को छोड़कर, पूरी शक्तियों के साथ 13ए को लागू किया जाएगा।
अल्पसंख्यक तमिलों की जातीय सुलह के जटिल मुद्दे पर ध्यान देने के अपने सतत प्रयासों के तहत विक्रमसिंघे ने दिसंबर में उत्तर और पूर्वी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले तमिल राजनीतिक दलों से बातचीत की थी।
राष्ट्रपति के कार्यालय के अनुसार बातचीत में अनेक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इनमें उत्तर और पूर्वी प्रांतों में लोगों के लिए भूमि अधिकारों के प्रावधान, पुनर्वास से संबंधित कानूनों का क्रियान्वयन और भारत के शरणार्थी शिविरों में श्रीलंका के लोगों के सामने आने वाली चुनौतियां शामिल हैं।
राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा, ‘‘उत्तर और पूर्वी प्रांतों में जिलों के विकास से संबंधित मुद्दों पर भी बात हुई।’’
हालांकि, यहां विश्लेषकों का मानना है कि 13ए के क्रियान्वयन में प्रगति नहीं होने पर नयी दिल्ली में चिंताएं बढ़ सकती हैं।
इसी साल श्रीलंका और भारत की नौसेनाओं ने भी अपने मजबूत संबंधों को प्रकट किया। आईएनएस बत्ती मालव, आईएनएस निरीक्षक और आईएनएस दिल्ली समेत कई भारतीय नौसैनिक पोतों ने श्रीलंका के बंदरगाहों पर लंगर डाला।
हालांकि, उसी समय श्रीलंकाई बंदरगाहों पर चीनी अनुसंधान पोतों के चक्कर बढ़ने पर भारत में चिंता का माहौल भी रहा। श्रीलंका ने हिंद महासागर में सुरक्षा चिंताओं को लेकर भी भारत के साथ एकजुटता प्रदर्शित की है।
चीनी जहाजों के प्रवेश पर पूरी तरह रोक की सीमाओं के बावजूद श्रीलंका ने क्षेत्रीय शक्तियों के संतुलन के भारत के प्रयासों की सराहना की।
श्रीलंका के उप विदेश मंत्री थराका बालासूर्या ने श्रीलंका के भावी विकास के लिए भारत के साथ करीबी संबंधों के महत्व पर जोर दिया था।
भारत के अडाणी समूह द्वारा कोलंबो बंदरगाह के पश्चिमी कंटेनर टर्मिनल का विस्तार भी एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक घटनाक्रम रहा है। यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन से 55 करोड़ डॉलर के वाणिज्यिक ऋण के माध्यम से इसे संचालित किया गया।
भारत की अलायंस एअर ने जुलाई में जाफना और चेन्नई के बीच दैनिक उड़ानों का परिचालन शुरू किया।