भारत ने सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित करने के बाद अपनी जल रणनीति को मजबूत करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में अतिरिक्त जल स्थानांतरण के लिए 113 किलोमीटर लंबी नहर के निर्माण की संभाव्यता अध्ययन शुरू किया है। यह कदम 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद उठाया गया, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, और भारत ने पाकिस्तान को जल प्रवाह रोकने की चेतावनी दी थी।
इस नहर से चेनाब, झेलम और सिंधु नदियों का अतिरिक्त पानी भारतीय राज्यों में सिंचाई और अन्य जरूरतों के लिए डायवर्ट किया जाएगा। सरकार रणबीर नहर की लंबाई को 60 किमी से दोगुना कर 120 किमी करने की भी योजना बना रही है, जो चेनाब से पानी खींचेगी। यह परियोजना 13 स्थानों पर मौजूदा नहरों से जुड़ेगी और रावी-ब्यास-सतलुज प्रणाली को मजबूत करेगी।
1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) पर पूर्ण अधिकार और पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब) पर सीमित उपयोग का अधिकार है। निलंबन के बाद, भारत अपनी पूरी हिस्सेदारी का उपयोग करने के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ा रहा है, जिसमें उझ बहुउद्देशीय परियोजना और तुलबुल नेविगेशन परियोजना शामिल हैं।
पाकिस्तान ने चार पत्र लिखकर संधि बहाली की मांग की, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि जब तक सीमा पार आतंकवाद बंद नहीं होता, संधि निलंबित रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।” पाकिस्तान में खरीफ फसलों की बुवाई प्रभावित हो रही है, क्योंकि सिंधु नदी प्रणाली से पानी 16.87% कम हुआ है।
गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि तीन वर्षों में सिंधु का पानी राजस्थान के श्री गंगानगर तक पहुंचेगा। यह योजना भारत की जल सुरक्षा को मजबूत करेगी और क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकती है।