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अनिल अंबानी का ज्यादा ध्यान रक्षा उत्पादन कंपनी पर

रिलायंस घराने के दोनों भाइयों के बीच करीबी बढ़ने के फौरी नतीजे दिखने लगे हैं। मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो और अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशन के बीच बढ़ती साझेदारी बाद बारी रक्षा उत्पादन सेक्टर की है। संकेत हैं कि टेलीकॉम सेक्टर को बड़े भाई मुकेश अंबानी के नेतृत्व में छोड़ छोटे भाई अनिल रक्षा उत्पादन की अपनी कंपनी पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
अनिल अंबानी का ज्यादा ध्यान रक्षा उत्पादन कंपनी पर

अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डीफेंस उन दो कंपनियों में शुमार हो गई है, जिसे रक्षा मंत्रालय द्वारा छह पनडुब्बियों के निर्माण का आर्डर मिल सकता है। 60 हजार करोड़ रुपए का यह आर्डर भारत सरकार अगले कुछ दिनों में जारी करने वाली है। अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने जनवरी में रूसी कंपनी पीपावाव डीफेंस एंड ऑफशोर इंजीनियरिंग कंपनी का अधिग्रहण कर लिया था। अब इस कंपनी को रिलायंस डीफेंस एंड इंजीनियरिंग या रिलायंस डीफेंस कहा जा रहा है। अनिल अंबानी इसे विश्व स्तरीय कंपनी बनाने की तैयारी कर रहे हैं। यह कंपनी भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए साजो-सामान बनाने के आर्डर लेने की तैयारी कर रही है।

रिलायंस डीफेंस ने इस्राइल की कंपनी राफेल के साथ मिसाइल बनाने और एलबिट के साथ सीमा सुरक्षा उपकरण बनाने के लिए करार किया है। इसके अलावा जर्मनी, फ्रांस, और रूस की कंपनियों के साथ भी तकनीक ट्रांसफर, पूंजी का आदान-प्रदान और कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए भी करार किए गए हैं। रिलायंस डीफेंस घरेलू बाजार में संभावनाएं तलाशने के साथ ही सैन्य उपकरणों के निर्यात की भी तैयारी में है। यह कंपनी भारतीय तटरक्षक बल के साथ 14 तेज गश्ती नौकाओं के लिए बातचीत कर रही है। यह अनुबंध 920 करोड़ रुपए का होगा। इस करार पर अक्टूबर में दस्तखत होने की संभावना है। इसका डिजाइन इन हाउस होगा और नौकाओं का निर्माण पीपावाव शिपयार्ड में किया जाएगा। गोवा शिपयार्ड एवं लार्सन एंड टुब्रो को पछाड़ते हुए रिलायंस डीफेंस ने यह काम हासिल किया।

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