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सबसे बड़े सांस्कृतिक, आध्यात्मिक सम्मेलन के पीछे का सच

ढोल, मृदंग, वीणा, हारमोनियम, तबला, बांसुरी सहित करीब चालीस से अधिक वाद्य यंत्रों की एक साथ गूंज के साथ नृत्य, शांति, ध्यान और अन्य कलाओं की प्रस्तुति पूरी दुनिया के लिए एक आकर्षण होगी। इस आकर्षण का हिस्सा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश दुनिया की जानी-मानी हस्तियां भी होगी। आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर की संस्था 'द आर्ट ऑफ लिविंग’ की ओर से आयोजित होने जा रहे दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक, सांस्कृतिक सम्मेलन में 155 से अधिक देशों के कलाकार भी भाग ले रहे हैं। भारत में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सम्मेलनों का आयोजन तो समय-समय पर होता रहा है लेकिन अपने तरह के अनूठे कार्यक्रम के आयोजन पर लोगों की खास नजर भी है। क्योंकि भारत में आध्यात्मिक आयोजन के पीछे कोई न कोई राजनीतिक मंशा भी छिपी रहती है। हाल ही में श्रीश्री रविशंकर को पद्म विभूषण सम्मान से सरकार ने सम्मानित भी किया। हालांकि इससे पहले श्रीश्री ने यह पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया था।
सबसे बड़े सांस्कृतिक, आध्यात्मिक सम्मेलन के पीछे का सच

11 से 13 मार्च तक दिल्ली में होने जा रहे इस आयोजन के लिए तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। देश के विभिन्न अंचलों में कार्यक्रम के आयोजन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत भी हो चुकी है। स्कूल हों या कॉलेज हर जगह इसको लेकर तैयारियां शुरु है। इतने बड़े महोत्सव के आयोजन के बारे में श्रीश्री रविशंकर का कहना है कि विश्व संस्कृति महोत्सव लाखों लोगों को एक साथ लाकर शांति की शक्ति के प्रदर्शन को रेखांकित करता है। यह सांस्कृति, सामाजिक, राजनीतिक और व्यवसायिक क्षेत्रों के वैश्विक नायकों को एक साथ लाकर खुशी और शांति हासिल करने की प्रक्रिया में मानव मूल्यों को जागृत करने का एक अवसर है। कार्यक्रम के दौरान श्रीश्री रविशंकर 'शांति ध्यान’ भी कराएंगे। 

कार्यक्रम की तैयारियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के अनुयायी देश भर में शिविर लगाकर लोगों को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जागरुक कर रहे हैं। इसके लिए बाकायदा शुल्क भी लिया जा रहा है जिससे कि शामिल होने वाले व्यक्ति की अभिरुचि का पता चल सके। कार्यक्रम के लिए प्रशिक्षण चला रहे प्रशिक्षक रोहित कुमार के मुताबिक इस आयोजन का उद्देश्य कोई आर्थिक लाभ लेना नहीं है। बल्कि लोगों को जागरुक करना है कि आपाधापी के इस युग में लोग समय निकालकर अध्यात्म की ओर भी झुके। इतने भव्य स्तर पर हो रहे आयोजन के पीछे एक बड़ा उद्देश्य यह भी है कि इसे दुनिया का सबसे बड़े सम्मेलन का दर्जा मिल सके। एक साथ वाद्य यंत्रों की गूंज को गिनीज बुक ऑफ द वल्र्ड रिकार्ड में भी शामिल किया जा सके। इस दौरान गिनीज बुक ऑफ द वल्र्ड रिकार्ड की टीम भी मौजूद रहेगी। आयोजकों को उम्मीद है कि इस कार्यक्रम में 35 लाख से अधिक लोग शिरकत करेंगे।
आयोजन को सफल बनाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के अलावा भारत सरकार, राज्य सरकारें, कई गैर सरकारी संगठन भी पूरी तरह से सहयोग कर रही है। केंद्रीय विद्यालय संगठन ने आयोजन से पहले ही परीक्षाएं पूरी कर लेने की तैयारी कर ली है। वहीं दिल्ली सरकार ने सभी स्कूल कॉलेजों की उस दौरान छुट्टियां घोषित कर दी है। इसके अलावा दिल्ली परिवहन निगम की 17 हजार बसें सिर्फ कार्यक्रम स्थल पर आने-जाने के लिए लगाई गई हैं। अमृतसर गुरुद्वारा साहेब और अकाल तख्त की ओर से प्रतिदिन 4 लाख लोगों के भोजन की व्यवस्था की गई है। भारत सरकार ने जर्मनी और रुस के लिए 317 अतिरिक्त हवाई जहाज सेवाएं उपलब्ध करवाया है। क्योंकि आयोजकों को उम्मीद है कि सबसे ज्यादा अनुयायी इन्हीं देशों से आएंगे।
भारत की आध्यात्मिक शक्ति को देखने के लिए श्रीश्री रविशंकर के आह्वान पर दुनिया के कई देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित गणमान्य लोगों ने आने की स्वीकृति दे दी है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय पूरी तरह से सहयोग कर रहा है। इसके लिए पर्यटन मंत्रालय ने दिल्ली और इसके आसपास के करीब पांच हजार होटलों को अनुबंधित कर चुकी है। यमुना किनारे करीब एक हजार एकड़ में फैले इस आयोजन स्थल पर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। मुख्य मंच को अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ सुसज्जित किया जा रहा है। इसके अलावा कार्यक्रम में शिरकत कर रहे कलाकारों के लिए अलग-अलग मंच बनाए जा रहे हैं जहां कला का प्रदर्शन होगा। जितनी तरह की कला उतने तरह का मंच। मतलब सबके लिए विशेष प्रबंध किया गया है। कार्यक्रम के वक्ताओं की सूची बहुत लंबी है जिसमें केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभू, ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अलावा दुनिया के कई देशों के प्रमुख लोगों को शामिल किया गया है। इसके अलावा कार्यक्रम की स्वागत समिति में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आर.सी. लाहोटी, नीदरलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफेसर रुड लबर्ज जैसी हस्तियां शामिल हैं। भारत में इससे पहले भी कई आध्यात्मिक गुरुओं ने सम्मेलनों का आयोजन किया है लेकिन श्रीश्री रविशंकर की अगुवाई में यह सम्मेलन अन्य सम्मेलनों से अलग पहचान बनाने जा रहा है। सम्मेलन के दौरान आर्ट ऑफ लिविंग के उत्पादों को भी प्रचारित-प्रसारित किया जाएगा। आर्ट ऑफ लिविंग के उत्पादों में किताबें और सीडी के अलावा कई आयुर्वेदिक औषधियां भी हैं। जिसके स्टाल सम्मेलन में जगह-जगह नजर आएंगे। आर्ट ऑफ लिविंग संस्था की स्थापना श्रीश्री रविशंकर ने साल 1981 में किया था। आज यह संस्था 152 से अधिक देशों में काम कर रही है। श्रीश्री रविशंकर के मुताबिक तब तक हमारा मन तनाव रहित और समाज हिंसा मुक्त नहीं होता तब तक विश्व में शांति की स्थापना नहीं हो सकती है। इसलिए आर्ट ऑफ लिविंग तनाव को दूर करने वाले कार्यक्रमों का आयोजन करता है जिसमें सांस कि क्रियाएं, ध्यान और योग शामिल है।

तथ्य एक नजर में
- 155 से अधिक देशों के कलाकार और गणमान्य लोग ले रहें हिस्सा
- एक हजार एकड़ जमीन पर हो रही सम्मेलन की तैयारी
- 35 लाख से अधिक लोगों के भाग लेने की संभावना
- पांच हजार से अधिक होटलों की बुकिंग
- दिल्ली परिवहन निगम चलाएगा 17 हजार से अधिक बसें
- जर्मनी और रुस के लिए 317 विशेष विमानों का प्रबंध
- 26 हजार से अधिक शौचालयों का निर्माण
- आयोजन के दौरान दिल्ली के स्कूल, कॉलेजों में छुट्टी

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