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'याची बताए, किस कानून से लोकसभा में हारे प्रत्याशी को राज्यसभा में जाने से रोक सकते हैं?'

लोकसभा चुनाव में हारने के बाद राज्यसभा के रास्ते सांसद बनने पर रोक लगाने संबंधित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवालिया निशान उठाए हैं। न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और विनोद गोयल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि कानून बनाना और उसमें बदलाव करना न्यायपालिका का काम नहीं है, इसके लिए सरकार को चुना जाता है। न्यायपालिका केवल इस बात की समीक्षा कर सकती है कि यह कानून देश के बुनियादी ढांचे व संविधान के अनुरूप बनाए गए हैं या नहीं।
'याची बताए, किस कानून से लोकसभा में हारे प्रत्याशी को राज्यसभा में जाने से रोक सकते हैं?'

खंडपीठ ने याची सत्य नारायण प्रसाद को दो मार्च को अगली सुनवाई पर अदालत को यह बताने के लिए कहा गया है कि आखिर किस कानून व नियम के तहत लोकसभा में हारे प्रत्याशी को राज्यसभा में जाने से रोका जा सकता है।

अदालत ने कहा कि इस तरह की याचिका लगाने का याचिकाकर्ता का अधिकार क्षेत्र नहीं है। इस पर जवाब दिया गया कि भारत का आम नागरिक होने के नाते इस गंभीर मुद्दे को उठाना उसके अधिकार क्षेत्र में आता है।

याचिका में कहा गया था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां वोट डालने वाले आम लोग सबसे ऊपर हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव हारने के बाद राज्यसभा के रास्ते संसद भवन में पहुंचने का जुगाड़ पूरी तरह दुर्भाग्‍यपूर्ण है।

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