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नोटबंदी का 22 वां दिन: बैंकों में पर्याप्‍त नकदी नहीं, पूरा वेतन मिलना मुश्किल

नये करेंसी नोटों की तंगी झेल रहे बैंकों में गुरुवार को वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों को उस समय निराशा हुई जब उन्हें लंबी प्रतीक्षा के बाद तय सीमा से कम नकदी ही उपलब्ध हो पाई। शाखाओं पर उमड़े खाताधारकों को शांत करने के लिये बैंक अपने पास उपलब्ध नकदी के अनुरूप थोड़ी थोड़ी राशि ही उपलब्ध करा पा रहे हैं।
नोटबंदी का 22 वां दिन: बैंकों में पर्याप्‍त नकदी नहीं, पूरा वेतन मिलना मुश्किल

बैंकों ने हालांकि, एक तारीख को ध्यान में रखते हुये पर्याप्त व्यवस्था किये जाने का दावा किया लेकिन ज्यादातर बैंक शाखाओं में देखा गया कि उनके पास नकदी की तंगी बनी हुई है। सार्वजनिक क्षेत्रों के एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने कहा कि बैंकों को नकदी की तंगी के चलते तय सीमा से कम राशि वितरित करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। कुछ बैंक शाखाओं ने प्रति व्यक्ति 5,000 रुपये तो कुछ ने 10,000 और 12,000 रुपये तक ही अपने ग्राहकों को नकद वितरण किया है।

उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने खाताधारकों को सप्ताह में 24,000 रुपये नकद देने की सीमा तय की है। एटीएम गुरुवार को भी बड़ी संख्या में खाली रहे। नोटबंदी की घोषणा के 24 दिन बाद भी एटीएम में पर्याप्त नकदी नहीं मिल पा रही है।

बैंकों ने हालांकि, 80 प्रतिशत एटीएम को नये नोटों के अनुरूप ढाले जाने का दावा किया है लेकिन इसके बावजूद एटीएम से नकदी नहीं मिल रही है। दूसरी तरफ 2,000 रुपये का नोट हाथ में होने के बाद बाजार में खरीदारी नहीं हो पा रही है क्योंकि छोटी मुद्रा उपलब्ध नहीं है।

एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने दावा किया था कि वेतन बांटने के लिये विशेष प्रबंध किये जा रहे हैं। बैंकों में अतिरिक्त नकदी भेजी जा रही है। लेकिन जमीन पर स्थिति कुछ अलग ही तस्वीर पेश कर रही है। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने पिछले दिनों कहा कि केन्द्रीय बैंक स्थिति पर निगाह रखे हुये है। रिजर्व बैंक लोगों की पीड़ा कम करने के लिये जरूरी कदम उठा रहा है।

गुजरात में भी यही स्थिति देखने को मिली। यहां भी बैंक शाखाओं और एटीएम के बाहर लंबी लाइनें दिखीं। वेतनभोगी और पेंशनर पहली तारीख होने पर नकदी पाने के लिये लाइन में खड़े थे। अहमदाबाद से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार बैंकों ने उपलब्ध नकदी की तंगी को देखते हुये ग्राहकों को आनुपातिक राशि ही उपलब्ध करा रहे हैं।

कई ग्राहकों ने इस पर निराशा जताई कि उन्हें महीने के खर्च के लिये अधिक राशि नहीं मिल रही है। दुकान से राशन खरीदनी है, स्कूल की फीस देनी है, घरेलू सहायक का मासिक भुगतान करना है और कई मासिक खर्च हैं जिन्हें नकदी में निपटाया जाना है लेकिन बैंकों से ज्यादा से ज्यादा 10,000 रुपए ही मिल पाये हैं। कुछ बैंक शाखायें तो एेसी भी रहीं जिन्होंने नकदी नहीं होने की जानकारी देते हुये लोगों को लौटा दिया।

वरिष्ठ नागरिकों और पेंशनरों ने लंबी लाइनों को देखते हुये लौटना ही बेहतर समझा। उनका कहना है कि उनके लिये बैंकों में अलग से व्यवस्था नहीं की गई है। एक राष्‍ट्रीय बैंक के बाहर लंबी लाइन में खड़े प्रदीप जैन ने कहा, मैं सुबह छह बजे यहां आ गया था। मुझे दैनिक जरूरतों के लिये अपने वेतन खाते से नकदी की जरूरत है, लेकिन अभी प्रतीक्षा कर रहा हूं।

रिजर्व बैंक ने सप्ताह में 24,000 रुपये निकालने की सीमा तय की है लेकिन ज्यादातर बैंक 10,000 रुपये से अधिक नहीं दे रहे हैं। राजेश भावसार ने शिकायत करते हुये कहा, लंबी लाइन में खड़ा रहने के बाद 10,000 रुपये ही बैंक ने दिये हैं। भाषा एजेंसी 

 

 

 

 

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