बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को पलीता लगाने की कोशिश की जा रही हैं। योजना के नाम पर महिला और बाल विकास मंत्रालय को इस साल के शुरुआत से ही बहुत से लड़कियों और महिलाओं द्वारा भरे गए फर्जी आवेदन मिल रहे हैं। इन आवेदनो में नकद राशि दिए जाने का झूठा प्रलोभन दिया गया है जबकि इस फर्जी आवेदन पत्र को मंत्रालय ने जारी नहीं किया है। मंत्रालय ने इन आवेदनों को नष्ट करने तथा लोगों को इस भ्रामक झांसे से बचने की बात कही है।
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि केंद्र सरकार की ओर से “बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ योजना” के तहत व्यक्तिगत रूप से नकद राशि देने का कोई प्रावधान नहीं है। बेटी बचाओ योजना सामाजिक प्रणाली में चुनौतीपूर्ण विचारधाराओं और पितृसत्ता की गहरी जड़ों पर प्रहार करने तथा बालिकाओं की शिक्षा को आगे बढ़ाने पर बल देती है। यह प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजना नहीं है। योजना को जिलाधिकारी या जिला आयुक्त की ओर से लागू किया जाता है और अधिकृत मीडिया एजेंसी प्रचार प्रसार-करती है।
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के नाम फर्जी आवेदन पत्रों का सिलसिला सबसे पहले यूपी से श्ाुरू हुआ और फिर हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली से भी आए। इसके अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और केरल में भी इस बारे में कुछ मामले दर्ज किए गए। मंत्रालय को पंजीकृत डाक द्वारा इस फर्जी योजना से जुडे़ लाखों आवेदन मिले हैं। इनकी जांच राज्यों से कराने के लिए कहा गया था तथा इस फर्जीवाड़े के खिलाफ सार्वजनिक चेतावनी जारी की है। साथ ही लोगो को प्रिंट मीडिया, टेलीविजन, रेडियो, सोशल मीडिया, मंत्रालय की वेबसाइट और डाकघरों के जरिए ऐसी भ्रामक और झूठी सूचना के झांसे में न आने की सलाह दी गई है। राज्य सरकारों और स्थानीय मीडिया द्वारा इस बारे में कई बार चेतावनी जारी की है। बावजूद इसके फर्जी आवेदनों का सिलसिला लगातार बना हुआ है। साथ ही लोगों को आगाह किया है कि वह किसी ऐसे भ्रामक आवेदन के झांसे में न आएं।