बिहार में जंगल राज का एक दूसरा चेहरा कोबरा पोस्ट के नए पर्दाफाश के साथ बाहर आया है। इसका असर निश्चित तौर पर बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों में पड़ेगा। जो लोग बिहार में जंगल राज का आरोप लगाते रहे है, उन्हीं का पर्दाफाश इसमें हुआ है। कोबरा पोस्ट ने कैमरे पर बिहार में कई दलित नरसंहार की दोषी कुख्यात रणवीर सेना के छह प्रमुखों को यह बोलते हुए रिकॉर्ड किया है कि कैसे उन्होंने ये हत्याएं कीं। सिर्फ इतना ही नहीं, उन्हें सैन्य प्रशिक्षण कैसे मिला, कैसे उनकी ट्रेनिंग हुई और नरसंहार के बाद उन्हें किन नेताओं ने बचाया, ये सारा खुलासा कोबरा पोस्ट ने किया है।
रणवीर सेना का पर्दाफाश करने में लगे कोबरा पोस्ट ने पिछले एक साल में ये सब जुटाया। इसमें नरसंहार के लिए आरोपी बनाए गए रणवीर सेना के छह बड़े कमांडरों ने यह कबूल किया है कि उन्होंने बिहार के छह दलित नरसंहार-सारथुआ (1995), बथानी टोला (1996), लक्ष्मणपुर बाथे (1997), शंकर बीघा (1999), एकबारी (1997) और मियांपुर (2000) में 144 लोगों की नृशंस हत्या की थी। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल थे। इस खुलासे में रणवीर सेना के चंद्रेश्वर, रवींद्र चौधरी, प्रमोद सिंह, भोला सिंह, अरविंद कुमार सिंह और सिद्धनाथ सिंह शामिल है।
इस बारे में भाकपा माले की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने आउटलुक को बताया कि कोबरा पोस्ट के खुलासे से वही दोबारा साबित हुआ है, जो हम लगातार कह रहे थे कि रणवीर सेना को बचाने में भाजपा का हाथ है। बिहार में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जंगल राज की वापसी की बात कह रहे हैं, अब इस खुलासे से साफ होता है कि सबसे बड़े जंगल राज, दलितों के नरसंहार के साथ उनका गठबंधन रहा है, वे उन्हें बचाते रहे हैं, अब वे इस आधार पर बिहार की जनता को गुमराह नहीं कर पाएंगे। साथ ही नीतीश और लालू ने भी कुछ नहीं किया। खासतौर से नीतीश कुमार ने अगर अमीरदास आयोग को भंग न किया होता तो यह खुलासा 2005 में आयोग ही सामने ले आता।
गौरतलब है कि रणवीर सेना के चंद्रेश्वर और प्रमोद सिंह को पटना उच्च न्यायालय ने छोड़ दिया, जबकि भोला सिंह, अरविंद कुमार सिंह और सिद्धनाथ सिंह को निचली अदालत ने छोड़ दिया था। भोला सिंह को बिहार पुलिस तलाश रही है और वह झारखंड के टाटा नगर में छिपा हुआ है। कोबरा पोस्ट के खुलासे में इन तमाम लोगों ने बताया है कि कैसे उनकी योजना एक ही दिन में 50 नरसंहारों को अंजाम देने की थी। इसके लिए उनके पास एके 47 जैसे घातक हथियार भी थे। जिस तरह से रणवीर सेना के इन अपराधियों ने बताया है कि उन्हें किस कदर राजनीतिक प्रश्रय हासिल था, उससे इस खुलासे का असर बिहार की राजनीति पर पड़ना अवश्यंभावी है। जनता दल यू और भाजपा गठबंधन की सरकार बिहार में बनने के तुरंत बाद जस्टिस अमीर दास आयोग को किन्हें बचाने के लिए भंग किया गया, इस पर भी यह खुलासा प्रकाश डालता है। यह आयोग रणवीर सेना को मिले राजनीतिक वरदहस्त पर बेहद सख्त था।