अधिकारिक सूत्रों की मानें तो यह नोटिस इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 131 के तहत भेजा गया है, जो टैक्स अधिकारियों को जांच करने का अधिकार देता है। ऐसा लगता है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्स हेवन देशों की कंपनियों में खान के घोषित निवेश के अलावा इन इकाइयों की गतिविधियों के बारे में भी जानकारी हासिल करना चाहता है। शाहरूख की विदेश में मौजूद कंपनियों का ब्यौरा मांगा गया है। विभाग ने सवालों की सूची भेजी है। सूत्रों के मुताबिक अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि शाहरूख ने टैक्स नियमों की अनदेखी की हैै या नहीं।
हालांकि, अभी तक खान के बिजनेस मैनेजर करुणा बडवाल को इस संबंध में भेजी गई ईमेल का जवाब नहीं मिल पाया है। अधिकारिक सूत्रों की मानें तो खान के अलावा वैसे कुछ अन्य उद्योगपतियों को भी नोटिस भेजे गए हैंं। सीनियर चार्टर्ड अकाउंटेंट दिलीप लखानी ने कहा, सरकार इनकम डेक्लरेशन स्कीम को सफल बनाने के लिए तमाम कोशिशें कर रही है। नोटिसों के जरिये असेसी को यह मेसेज देने की कोशिश की जा रही है कि सरकार गंभीर है और जो लोग छिपी हुई इनकम का ऐलान नहीं करेंगे, उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
ऑडिट फर्म चोकसी ऐंड चोकसी एलएलपी में सीनियर मैनेजिंग पार्टनर एम चोकसी ने बताया, इसमें कोई शक नहीं है कि जिन्हें नोटिस जारी किया गया है या जिनकी जांच होगी, वे आईडीएस का विकल्प नहीं चुन सकते। हालांकि, इस तरह की कार्रवाई से टैक्स से बचने से पहले कोई भी शख्स दोबारा सोचेगा।
कई बिजनेसमैन, टॉप प्रफेशनल्स और ऐक्टर्स ने आरबीआई की उदारवादी रेमिटेंस स्कीम का इस्तेमाल कर विदेश में अपार्टमेंट्स और स्टॉक्स खरीदे हैं। इस स्कीम के तहत मॉरीशस, ईरान और अफगानिस्तान जैसे देशों को छोड़कर तकरीबन सभी मार्केट्स में निवेश की इजाजत है।