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यूपी साधे सब सधे

66 सदस्यों के केंद्रीय मंत्रिमंडल में 13 सदस्य उत्तर प्रदेश से हैं, लोकसभा चुनाव में मिली थी राज्य से बड़ी सफलता
यूपी साधे सब सधे

कबीर दास कहते हैं - इक साधे सब सधे ....अब इसी तर्ज पर मोदी सरकार का नारा है - यूपी साधे तो सब सधे ....शायद यही कारण है कि सरकार में उत्तर प्रदेश के मंत्रियों का बोलबाला है। स्वयं प्रधानमंत्री के भी उत्तर प्रदेश से चुने जाने का असर प्रदेश के अन्य मंत्रियों पर साफ नजर आ रहा है और वे अपने-अपने क्षेत्र में केंद्रीय योजनाएं लाने की कोशिश में चक्कर काटते नजर आते हैं। हालांकि उनकी इस कवायद की वजह अगले साल प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव भी हैं मगर अब जब स्वयं प्रधानमंत्री अपने लोकसभा क्षेत्र का दौरा करते रहते हों तो प्रदेश के अन्य मंत्रियों की  भी यही मजबूरी हो जाती है। 66 सदस्यों के केंद्रीय मंत्रिमंडल में 13 सदस्य उत्तर प्रदेश से हैं। यही नहीं, 27 सदस्यीय कैबिनेट में भी पांच मंत्री उत्तर प्रदेश के ही हैं सो पूरी सरकार पर यूपी की धमक को आसानी से महसूस किया जा सकता है।

मोदी सरकार में उत्तर प्रदेश का दर्जा वीआईपी स्टेट से कम नहीं है। प्रधानमंत्री स्वयं इसी प्रदेश के वाराणसी से सांसद हैं तो गृह मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से चुने गए हैं। उमा भारती झांसी से तो कलराज मिश्र देवरिया व मेनका गांधी पीलीभीत से संसद पहुंची हैं। मंत्रिमंडल के कई राज्यमंत्री वीके सिंह, रमा शंकर कठेरिया, संतोष गंगवार, मनोज सिन्हा, संजीव बालियान, महेश शर्मा, साध्वी निरंजना ज्योति, मुख्तार अब्बास नकवी भी उत्तर प्रदेश से ही सांसद हैं। बावजूद इसके प्रदेश में यदि सरकार का कोई चेहरा है तो वह हैं स्वयं नरेंद्र दामोदर दास मोदी। अपने क्षेत्र बनारस को मोदी की सौगातों की फेहरिस्त लंबी-चौड़ी है। क्षेत्र में हैंडलूम पैथिलेशन सेंटर नरेंद्र मोदी की बड़ी देन मानी जा रही है। मोदी के प्रयासों से ही वाराणसी में आईपीडीएस योजना के तहत बिजली सुधार को वाराणसी के हिस्से 572 करोड़ रुपये आए। प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने को 12 शहरों में शुरू होने वाली हेरिटेज साइट योजना में भी वाराणसी को शामिल किया गया। इसके तहत शहर में 450 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। शहरी विकास मंत्रालय भी अलग से यहां 89 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। शहर में रिंग रोड के निर्माण, सड़कों के चौड़ीकरण और सुंदरीकरण का काम भी चल रहा है। प्रधानमंत्री अपनी सरकार के शायद पहले सांसद होंगे जिन्होंने आदर्श ग्राम योजना में चुने गए ग्राम का विकास सबसे पहले पूर्ण कर लिया है । उनकी स्थानीय टीम ने जयापुर के बाद इसी विकास खंड के दूसरे ग्राम नागेपुर में काम शुरू कर दिया है।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह अपने लोक सभा क्षेत्र लखनऊ में पांच हजार करोड़ रुपये की लागत से 105 किलोमीटर लंबी और चार लेन की रिंग रोड बनवा रहे हैं। 6 हजार 928 करोड़ रुपये की लागत से लखनऊ में बनने जा रही मेट्रो भी उनके खाते में है। उनके प्रतिनिधि दिवाकर त्रिपाठी कहते हैं कि सिंह ने चुनाव से पूर्व जनता से जो वादे किए वह एक-एक कर पूरे हो रहे हैं ।

अपने लोकसभा क्षेत्र के विकास में नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह के बाद यदि किसी का जिक्र किया जाना चाहिए तो वह हैं जल संसाधन मंत्री उमा भारती । अपने लोकसभा क्षेत्र झांसी में उन्होंने केंद्रीय योजनाओं के अतिरिक्त स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों का भी खूब सहयोग लिया। सुश्री भारती बताती हैं कि उनके प्रयासों से आठ सौ करोड़ रुपये की अटल अमृत योजना उनके लोकसभा क्षेत्र झांसी में आई है और इस राशि में से दो सौ करोड़ रुपये जारी भी हो चुका है। क्षेत्र में पेयजल संकट को देखते हुए इलाके के एक बड़े रानी लक्ष्मी तालाब के पुनरुद्धार को 54 करोड़ रुपये जारी कर राज्य सरकार के खाते में डाले गए हैं। झांसी में ही लाइफ लाइन ट्रेन ढाई महीने तक खड़ी रही और सैकड़ों लोगों के नाक, कान और आंखों के ऑपरेशन हुए। वह बताती हैं कि आदर्श ग्राम योजना के तहत चिह्नित ग्राम पाबा में उन्होंने छोटा स्टेडियम, सोलर लाइटें और शौचालय बनवाए हैं। उनके स्थानीय प्रतिनिधि जगदीश चौहान बताते हैं कि सुश्री भारती ने अपने वेतन से ग्रामीणों का बीमा कराया और उसी से क्षेत्र में कंबल और ट्राई साइकिलें वितरित करने का काम सारे साल चलता है।

कपड़ा मंत्री संतोष गंगवार बताते हैं कि उन्ही के प्रयासों से उनके लोकसभा क्षेत्र बरेली में टेञ्चसटाइल पार्क स्वीकृत हुआ है। यह योजना सौ करोड़ रुपये की है। इसके अतिरिक्त चालीस करोड़ की लागत से हैंडीक्राफ्ट सेंटर भी शुरू हो रहा है। दिल्ली - मेरठ हाईवे का काम गाजियाबाद के सांसद जनरल वीके सिंह और गौतमबुद्ध नगर के सांसद महेश शर्मा के प्रयासों से परवान चढ़ा। वीके सिंह के स्थानीय प्रतिनिधि एवं पूर्व विधायक नरेंद्र शिशोदिया दावा करते हैं कि मंत्री के प्रयासों से ही इलाके  में विजय नगर का आरओबी व अनेक अन्य महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू हुई हैं ।

रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा अपने संसदीय क्षेत्र गाजीपुर से औड़िहार तक की रेल पटरियों को डबल कराने के साथ गाजीपुर से बनारस के अलावा दिल्ली तक ट्रेन शुरू करवा चुके हैं। लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री कलराज मिश्र अपने संसदीय क्षेत्र देवरिया में राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम के सहयोग से एक ट्रेनिंग सेंटर बनवा रहे हैं। अपने तरह का यह देश का पहला प्रशिक्षण केंद्र है। उधर, अनेक वरिष्ठ मंत्रियों की खरगोश दौड़ के बावजूद कई मंत्री फिर भी कछुआ चाल के ही मुरीद नजर आ रहे हैं और पार्टी की नीतियों के बावजूद अपने संसदीय के लिए कुछ खास नहीं कर पा रहे। माना जा रहा है कि केंद्र के प्रभावी मंत्रियों की गणेश परिक्रमा न कर पाने का नुकसान उनका लोकसभा क्षेत्र भुगत रहा है। मेनका गांधी, मुख्तार अब्बास नकवी, संजीव बालियान, रमा शंकर कठेरिया और निरंजना ज्योति इस फेहरिस्त में शुमार हैं। माना जा रहा है कि खराब प्रदर्शन के चलते इनमें से कम से कम दो मंत्रियों को संगठन में भेजने के नाम पर मंत्रिमंडल से हटाया जा सकता है और प्रदेश के कुछ और सांसदों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। बहरहाल, कुछ भी हो एक अरसे बाद उत्तर प्रदेश केंद्र की प्राथमिकताओं में स्थान बना पाया है। हालांकि अधिकांश काम अभी योजनाओं की स्वीकृति तक ही पहुंचा है। मगर लोगों को विश्वास है कि बात आगे बढ़ेगी जरूर। वैसे इसमें भी कोई दो राय नहीं कि प्रदेश के विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और मोदी सरकार जरा जल्दी में है। मगर उसका दुर्भाग्य ऐसा है कि उत्तर प्रदेश के लिए किए गए कार्यों को जनता के समक्ष वह अभी ढंग से रख भी नहीं पाई है।

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