विशेष सीबीआई जज भरत पराशर ने दिलीप रे के अलावा उस समय कोयला मंत्रालय में रहे दो वरिष्ठ अधिकारियों प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम, कैस्टाॅन टेक्नोलाजीज लि., उसके निदेशक महेंद्र कुमार अग्रवाल और कैस्टाॅन माइनिंग लि. के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और विश्वास हनन का आरोप तय किया है। अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमा शुरू करने के लिए पर्याप्त प्रमाण हैं।
दिलीप रे अटल बिहारी सरकार में कोयला राज्यमंत्री थे। बनर्जी कोयला मंत्राालय में अतिरिक्त सचिव और सलाहकार (परियोजना) थे। आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताते हुए मुकदमा शुरू करने की अपील की, जिसके बाद आरोप तय किए गए। अदालत ने इस मामले में मुकदमा शुरू करने की तारीख 11 जुलाई तय की है। सीबीआई ने कहा है कि दिलीप रे ओडि़शा में विधायक हैं और उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार मुकदमा दैनिक आधार पर चलाया जाना चाहिए। यह मामला 1999 में झारखंड के गिरिडीह में ब्रमादिहा कोयला ब्लाक का आवंटन सीटीएल को किए जाने से संबंधित है।
राउरकेला से भाजपा के मौजूदा विधायक रे ने एक बयान में कहा, मेरी कानूनी टीम ने मुझे दोषमुक्त करने की मांग नहीं करने की सलाह दी है (जिससे कार्यवाही विलंबित होगी) बल्कि त्वरित सुनवाई का आग्रह करने को कहा है] क्योंकि मैं न्याय प्रणाली में पूरी तरह यकीन रखता हूं और पिछले 40 साल के सार्वजनिक जीवन में मैंने कोई भी गलत काम नहीं किया है। उन्होंने कहा कि विवाद में अनावश्यक रूप से उनका नाम घसीटे जाने के कारण उन्हें बहुत अधिक पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है।