उन्होंने फांसी पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा था कि मुस्लिमों और दलितों को सबसे ज्यादा फांसी मिलती है। मेनन की इस टिप्पणी पर मीडिया में काफी हो हल्ला हुआ था। मेनन के इस मामले को छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने गंभीरता से लिया है। आईएएस से अपने इस कथन पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
राज्य सरकार ने मेनन को जवाब देने के लिए एक माह का समय दिया है। मीडिया सूत्रों के मुताबिक मेनन को इस मामले पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। पिछली 18 जून को आईएएस अलेक्स पॉल मेनन ने अपने फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट लिखी थी जिसमें उन्होंने लिखा था कि भारत में न्यायालयों द्वारा 94 प्रतिशत फांसी की सजा मुस्लिमों और दलितों को दी जाती रही हैं और यह तथ्य भारत की न्याय व्यवस्था को क्या पूर्वाग्रह से प्रेरित करार नहीं देता?
इससे पहले भी मेनन अपनी टिप्पणियों और कार्यप्रणाली के जरिए कई विवादों को जन्म दे चुके हैं। आरक्षण और दलित मुद्दों पर वह लगातार बयान देते रहते हैं। मेनन छत्तीसगढ़ के वही प्रशासनिक अधिकारी हैं, जिनका सुकमा जिले में कलेक्टर रहते हुए नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था।
छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग की सचिव निधि छिब्बर ने कहा कि अलेक्स पॉल मेनन को नोटिस दिया गया है। उनसे एक महीने में जवाब मांगा गया है। जवाब मिलने के बाद निर्णय लिया जाएगा।