जांच की निगरानी कर रहे सीआईडी निरीक्षक एसएस त्रिवेदी ने कहा, हमारी जांच के दौरान प्रत्यक्षदर्शियों ने हमें बताया कि शेरों ने मोटा समधियाला के निकट बेदिया गांव में एक गाय को मारा और उसी रात आसपास के गांवों में तीन अन्य गायों को मारा। अगली सुबह दलित समुदाय के लोगों को गाय के शवोंं के निस्तारण के लिए बुलाया गया। एेसे में यह स्पष्ट है कि पीड़ित गोहत्या में शामिल नहीं थे।
यह गांव गिर अभयारण्य के निकट है, एेसे में शेरों का वहां दिखाई देना आम बात है। कुछ गांव तो उस कोरिडोर के तहत आते हैं जो जंगली बिल्लियों के घूमने के लिए है। त्रिवेदी ने कहा कि यह अभी जांच का विषय है कि दलित समुदाय के लोग जब मरी हुई गाय की खाल उतार रहे थे तो उस वक्त कथित गो रक्षकों को किसने बुलाया था तथा गोहत्या को लेकर गलत जानकारी देने के पीछे का मकसद क्या था। बीते 11 जुलाई के मोटा समधियाला गांव के बाहर दलित युवकों को बर्बर पिटाई की गई थी।
उना में जिन लोगों की पिटाई की गई थी उनमें वाशराम सरवैया, उनके भाई रमेश तथा दो अन्य व्यक्ति अशोक और बेचार शामिल हैं। ये सभी मोटा समधियाला गांव के निवासी हैं। पिटाई के बाद कथित गो रक्षक इन लोगों को उना कस्बे ले गए और वहां फिर सेे लाठियों और लोहे की छड़ से पिटाई की। उनको सार्वजनिक रूप से निर्वस्त्र करके घुमाया गया। त्रिवेदी ने कहा, बेदिया गांव के निवासी नेजा अहीर की गाय थी और उसने दलितों को मरी हुई गाय का निस्तारण करने के लिए सूचित किया था। स्थानीय दलित इस काम को नहीं करते, एेसे में उन्होंने निकट के गांव मोटा समधियाला के सरवैया परिवार को इस काम के लिए बुलाया।
उन्होंने कहा, जब सरवैया परिवार के लोग गाय की खाल उतार रहे थे तभी खुद को गोरक्षक बताने वाले कुछ लोग वहां पहुंचे और उनकी पिटाई शुरू कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि ये दलित गोहत्या में शामिल हैं जबकि यह आरोप सही नहीं है। अतीत में भी ये दलित एेसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं रहे। इस दलित परिवार के मुखिया बालू सरवैया ने पहले आरोप लगाया था कि उनके परिवार के लोगों को एक स्थानीय सरपंच की ओर से फंसाया गया होगा। त्रिवेदी ने कहा, अब हमारी जांच पूरी तरह इस बात पर केंद्रित है कि कथित गोरक्षकों को किसने बुलाया और गोहत्या के बारे में गलत सूचना दी। सरपंच भी जांच के दायरे में है। भाषा एजेंसी