सिंह ने भाषा से बातचीत में कहा, आपदाओं के कारण अगर कहीं नुकसान हुआ है तो इसके लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और प्रधानमंत्री मौसम आधारित बीमा योजना है और इसके तहत राहत प्रदान की जा रही है।
जल्दी नष्ट हो जाने वाली फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर कृषि मंत्री ने कहा, अगर राज्य सरकारें बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत फल या सब्जी के नुकसान के बारे में प्रस्ताव देती हैं और वहां उत्पादन 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा हो लेकिन कीमत में 10 प्रतिशत की कमी आई हो, तब उस प्रस्ताव को मंजूरी दी जायेगी और सहायता प्रदान की जायेगी।
उन्होंने कहा कि देश में अनाज का जितना उत्पादन हो रहा है, निश्चित रूप से उपभोक्ताओं तक पहुंचने के क्रम में उसमें से 10 प्रतिशत का नुकसान होता है। इसी प्रकार फल एवं सब्जियों का जितना उत्पादन होता है, उसमें से 22 प्रतिशत तक का उपभोक्ताओं तक पहुंचने के क्रम में नुकसान होता है। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने शीतगृह से लेकर खाद्य प्रसंस्करण आदि की योजनाओं को तेज किया है। इन्हें मिशन के रूप में आगे बढ़ाया जा रहा है।
फसल बीमा योजना के कारगर नहीं होने की आलोचनाओं पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नयी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ हुआ है। यह इस बात से स्पष्ट होता है कि पिछले वर्ष खरीफ फसल में देश में 3.15 करोड़ किसानों ने बीमा कराया था। इनमें से 3 करोड़ किसान ऐसे थे जो रिण लेते थे लेकिन 15 लाख किसान ऐसे भी थे जो रिण नहीं लेते थे हालांकि उन्होंने बीमा करा रखा था। भाषा