सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने सीबीआई को इस महीने के शुरु में इस बारे में कहा था जिसके बाद सीबीआई ने इंटरपोल को पत्र भेज दिया है। इंटरपोल को भेजे पत्र में कहा गया है कि ललित मोदी का तर्क बिल्कुल भ्रामक है कि ब्रिटिश कानून के अनुसार उन्हें प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्हें कभी गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया गया। इससे पहले ललित मोदी ने इंटरपोल को दिए हलफनामे में कहा था कि ब्रिटिश कानूनों के तहत कानूनी सहायता संधि के अऩुच्छेद 11 (1) (डी) के अनुसार,किसी व्यक्ति को बाहर नहीं भेजा जा सकता, जब तक ब्रिटेश की हिरासत में नहीं या फिर उसने प्रत्यर्पण पर सहमति नहीं जताई हो।
मालूम हो कि ईडी ने मोदी को पूछताछ के लिए तलब किया था लेकिन उन्होंने सहयोग करने से इंकार कर दिया। इसके बाद मुंबई की विशेष अदालत ने मोदी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था जिसका हवाला देते हुए ईडी ने मोदी के दावों को गलत करार दिया और जल्द प्रत्यर्पित करने की मांग की है। ललित मोदी के खिलाफ ईडी में मनी लांड्रिंग के अलावा फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत मामला चल रहा है। सन 2014 में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व कई भाजपा नेताओं के साथ नजदीकियों के चलते ललित मोदी चर्चा में आए थे। ईडी लंबे समय से उन्हों ब्रिटेन से लाने की कोशिश कर रही है लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिल पाई।