प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक कार्यकारी आदेश पर विचार कर रहे हैं जिसमें इस प्रकार के कार्यवीजा और कुशल श्रमबल के प्रवाह पर अंकुश लगाने के प्रावधान हैं। प्रशासन की इस पहल का भारतीय आईटी कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव होगा।
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, अमेरिकी सरकार को एच-1 बी वीजा मामले में अपनी स्थिति पर फिर से विचार करना चाहिये। भारत ने अमेरिका के प्रौद्योगिकी उद्योग के विकास में काफी बौद्धिक निवेश किया है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार का कोई भी कदम भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में भावनात्मक अवरोध बन सकता है।
तिवारी अटलांटिक परिषद की एक मीडिया बैठक में संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे। तिवारी इस परिषद में दक्षिण एशिया केन्द्र के वरिष्ठ सदस्य हैं।
अमेरिका में काम करने के लिये भारतीय पेशेवरों को भेजने के वास्ते भारतीय आईटी कंपनियों को प्राथमिक तौर पर एच-1बी और एल-1 वीजा पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
नास्कॉम के अध्यक्ष आर. चंद्रशेखर के नेतृत्व में भारतीय साफ्टवेयर उद्योग के प्रतिनिधियों का एक दल इस सप्ताह आखिर में वाशिंगटन पहुंचने वाला है। अपनी यात्रा के दौरान यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिका सांसदों, सरकारी अधिकारियों के साथ कई बैठकें करेगा। भाषा