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लोढ़ा कमेटी की टिप्‍पणी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय पोस्टमैन जैसा

देशभर में 35 नए मेडिकल कॉलेजों में पांच हजार से ज्यादा नई एमबीबीएस सीटों को मान्यता देने वाली सुप्रीम कोर्ट की हाई पॉवर कमेटी ने केंद्र सरकार और एमसीआई पर कई गंभीर टिप्पणियां की हैं। पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा, पूर्व सीएजी प्रमुख विनोद राय और एमसीआई के पूर्व चेयरमैन डाॅ. एसके सरीन की कमेटी ने अपने आदेश में कहा है कि देशहित से जुड़े इस अहम मुद्दे पर जहां केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय पोस्टमैन जैसा काम कर रहा था, वहीं एमसीआई दोहरा,कुंठित और अड़ियल रवैया अपना रही थी। मजबूरन हमें ही कॉलेजों का पक्ष जांच कर मान्यता देने या नहीं देने का निर्णय लेना पड़ा।
लोढ़ा कमेटी की टिप्‍पणी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय पोस्टमैन जैसा

एमसीआई ने निरीक्षण के बाद कई मेडिकल कॉलेजों को उनका पक्ष सुने बगैर और मामूली कमियां बताकर सत्र 2016-17में एमबीबीएस सीटों की मान्यता देने से मना कर दिया था। जस्टिस लोढ़ा कमेटी ने इन कॉलेजों से पुनर्विचार के आए 93 आवेदन एमसीआई को भेजते हुए कहा था कि कॉलेजों का पक्ष जाने बिना मान्यता नहीं देने का एकतरफा निर्णय न्याय सिद्धांत के खिलाफ है। 

कॉलेजों की मान्यता रद्द करते समय एमसीआई ने हास्यास्पद तर्क दिए। एमसीआई ने अनुमति नहीं देने की मंशा से कुछ कॉलेजों की निरीक्षण रिपोर्ट में एक ही कमी को दो-तीन बार दिखायाताकि इन्हें ज्यादा बता सके। जैसे- अस्पताल में दो बेड के बीच की दूरी को कम बताया या मरीज व उपकरण के पर्याप्त नहीं होने का बिंदु लिखा। हालांकि यह नहीं लिखा कि बेड के बीच की दूरी मानक दूरी डेढ़ मीटर से कितनी कम है या कितने मरीज कम हैं। कमेटी ने कहा कि एमसीआई मनमानी कर रहा है। 

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