एमसीआई ने निरीक्षण के बाद कई मेडिकल कॉलेजों को उनका पक्ष सुने बगैर और मामूली कमियां बताकर सत्र 2016-17में एमबीबीएस सीटों की मान्यता देने से मना कर दिया था। जस्टिस लोढ़ा कमेटी ने इन कॉलेजों से पुनर्विचार के आए 93 आवेदन एमसीआई को भेजते हुए कहा था कि कॉलेजों का पक्ष जाने बिना मान्यता नहीं देने का एकतरफा निर्णय न्याय सिद्धांत के खिलाफ है।
कॉलेजों की मान्यता रद्द करते समय एमसीआई ने हास्यास्पद तर्क दिए। एमसीआई ने अनुमति नहीं देने की मंशा से कुछ कॉलेजों की निरीक्षण रिपोर्ट में एक ही कमी को दो-तीन बार दिखाया, ताकि इन्हें ज्यादा बता सके। जैसे- अस्पताल में दो बेड के बीच की दूरी को कम बताया या मरीज व उपकरण के पर्याप्त नहीं होने का बिंदु लिखा। हालांकि यह नहीं लिखा कि बेड के बीच की दूरी मानक दूरी डेढ़ मीटर से कितनी कम है या कितने मरीज कम हैं। कमेटी ने कहा कि एमसीआई मनमानी कर रहा है।