देश की राजधानी दिल्ली इन दिनों गतिरोध में फंसी हुई है। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच ठनी हुई है। दिल्ली सरकार का आरोप है कि आईएएस अफसर कथित तौर पर हड़ताल पर हैं। आईएएस एसोसिएशन कह रहा है कि यह सूचना गलत और आधारहीन है।
फिलहाल, इस गतिरोध की एक बड़ी वजह शक्ति के बंटवारे को माना जाता है। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला हुआ है। इसकी मांग आम आदमी पार्टी लगातार करती रही है। केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से प्रशासन के कई विभाग केंद्र के पास हैं और कई राज्य सरकार के पास। दिल्ली पुलिस को लेकर एक बड़ा विवाद है, जो गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है और राज्य सरकार इसे अपने अधीन चाहती है। सीएम अरविंद केजरीवाल उपराज्यपाल पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह केंद्र के इशारे पर काम करते हैं।
'आप' के अलावा पहले भाजपा और कांग्रेस भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जान की मांग करती रही हैं। 1998 में पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा की सरकार ने इसके लिए एक ड्राफ्ट बिल तैयार करवाया था। 1947 में पट्टाभिसीतारमैया कमेटी ने सिफारिश में कहा कि दिल्ली का प्रशासन एलजी के अंतर्गत आना चाहिए। बाद में सी स्टेट्स एक्ट (1951) में संशोधन कर इसे विधानसभा और विधानपरिषद बनाया गया। 1956 में दिल्ली विधानसभा का प्रावधान समाप्त कर दिया गया। बाद में 69वें संविधान संशोधन, 1991 में फिर से इसे विधानसभा में तब्दील किया गया। कई संशोधनों के बाद भी केंद्र और राज्य के बीच संशय की स्थिति बनी रही जो आज तक कायम है।
इसी क्रम में आइए देखते हैं, दूसरी राजधानियों के क्या हाल हैं। दुनिया के तीन बड़े देशों संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए), ब्रिटेन और जर्मनी की राजधानियों का प्रशासन कैसे काम करता है?
वाशिंगटन डीसी (यूएसए)
यहां लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया मेयर होता है, जिसके पास सीमित शक्तियां होती हैं। इसकी विधायी शक्तियां यूएस की संसद कांग्रेस में निहित होती हैं। यहां की पुलिस शहर, राष्ट्रपति और कांग्रेस तीनों के अधीन होती है।
लंदन (ब्रिटेन)
यहां मेयर और चुनी हुई विधानसभा हैं। 25 सदस्यीय विधानसभा मेयर द्वारा जारी बजट और ग्रेटर लंदन अथॉरिटी में की गई नियुक्तियों में बदलाव कर सकती है। मेट्रोपॉलिटन पुलिस सर्विस मेयर के अधीन है।
बर्लिन (जर्मनी)
यहां एक चुनी हुई विधानसभा और एक सीनेट है। हाउस मेयर का चुनाव करता है। दिल्ली की तरह यहां भी उच्च और निचले सदन में प्रतिनिधि चुनकर भेजे जाते हैं। 1992 में यहां केंद्र और राजधानी के बीच संबंधों को विधिवत रूप दिया गया था।