युवकों के परिवार वालों ने बताया कि उन्हें इन युवकों के बारे में पिछले एक माह से कोई जानकारी नहीं मिली है। लापता लोगों में एक दंपति शामिल है। परिवार वालों को संदेह है कि पश्चिम एशिया में धार्मिक अध्ययन के सिलसिले में गए इन युवकों को कट्टरपंथ ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। कासरगोड़ जिला पंचायत के सदस्य वीपीपी मुस्तफा ने कहा कि ईद के दौरान लापता हुए दो युवकों के माता-पिता के पास वाॅट्स एप पर संदेश आए थे जिसमें लिखा था, हम वापस नहीं आएंगे। यहां रूहानी माहौल है। आप भी यहां आ जाएं। उन्होंने बताया कि एक अन्य संदेश में लिखा था, हम आईएस में शामिल हो गए हैं ताकि मुसलमानों पर हमला करने वाले अमेरिका से लड़ सके। संदेशों की सत्यता जांची जाएगी।
करूणाकरण, त्रिकरिप्पुर के विधायक एम राजगोपालन और मुस्तफा ने परिवार वालों के उनसे संपर्क करने के बाद मुख्यमंत्री को इस मामले की जानकारी दी। राजगोपालन ने पीटीआई भाषा से कहा कि लापता हुए सभी युवकों की उम्र 30 से कम है और सभी उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। करूणाकरण ने शनिवार को कहा, मुख्यमंत्री ने पुलिस को मामले की जल्द से जल्द जांच करने के आदेश दिए हैं।
उन्होंने बताया कि लापता युवकों के परिवार वालोें ने शुक्रवार को उनसे मुलाकात कर उन्हें मामले की जानकारी दी थी। कासरगोड़ के लापता युवक हफीजुद्दीन के पिता हाकिम ने एक टीवी चैनल को बताया कि उनका बेटा एक माह पहले घर से गया था और तब से उसकी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, अगर वह एक अच्छे इंसान की तरह लौटता है, तो मैं उसका स्वागत करूंगा। अगर एेसा नहीं होता तो मैं उसका शव भी नहीं देखना चाहूंगा।
करूणाकरण ने कहा कि परिवार के सदस्यों ने उन्हें बताया कि सभी युवक एक माह पहले यह कहकर पश्चिम एशिया गए थे, कि वे वहां धार्मिक अध्ययन के लिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले एक महीने से उनके परिवार वालों की उनसे कोई बातचीत नहीं हुई इसलिए वह शंका में हैं। इन युवकों में से 11 केरल के उत्तर में स्थित कासरगोड़ जिले के त्रिकरिप्पुर एवं पदना के निवासी हैं और अन्य पलक्कड़ जिले के है।
मुस्तफा ने पीटीआई भाषा से कहा कि लापता लोगों में डाॅ इजास और उनकी दंत चिकित्सक पत्नी भी शामिल है। दोनों घर से यह कहकर गए थे कि वे लक्षद्वीप जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इंजिनियरिंग में स्नातक अब्दुल राशिद अपनी पत्नी और एक बेटी के साथ यह कहकर घर से गया था कि वह नौकरी के लिए मुंबई जा रहा है। मुस्तफा ने कहा कि सभी युवक मध्यवर्गीय परिवार के थे और पिछले दो साल से धर्म संबंधी मामलों में काफी रूचि ले रहे थे।