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ममता बोलीं : 30 दिन में 90 से ज्यादा की मौत, मोदी बाबू अब और कितने?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि नोटबंदी के बाद पिछले एक महीने से लोगों को काफी दिक्कत और वित्तीय असुरक्षा हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को देश के सामने स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और इसके लिए पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर लगातार प्रहार करने वाली बनर्जी ने कहा, विदेशों से भी काला धन बरामद नहीं हो सका। तथाकथित काला धन की बरामदगी के नाम पर केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी ने जमीन, बैंक जमा, सोना, हीरे-जवाहरात आदि संपत्तियां बनाईं और अब ज्यादा पूंजीवादी बन गई है।
ममता बोलीं : 30 दिन में 90 से ज्यादा की मौत, मोदी बाबू अब और कितने?

बनर्जी ने ट्विटर पर लिखा, नोटबंदी की घोषणा को एक महीने हो गए। 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। मोदी बाबू अब और कितने?

उन्होंने यह भी दावा किया कि उच्च मूल्य वाले नोट बंद करने के बाद परेशानियों से 90 लोगों की मौत हो चुकी है। बनर्जी ने एक बयान जारी कर कहा, एक महीने से पीड़ा, दर्द, नाउम्मीदी, वित्तीय असुरक्षा और पूरी तरह अराजकता। उच्च मूल्य वाले नोटों को बंद करने के बाद इसके खिलाफ सबसे ज्यादा आवाज उठाने वाली बनर्जी ने कहा, आठ नवम्बर को नोटबंदी के काले निर्णय की घोषणा करने के बाद आम आदमी को यही सब हासिल हुआ है।

उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री को स्थिति के बारे में देश को स्पष्टीकरण देना चाहिए और पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ने दावा किया कि कोई काला धन जब्त नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, आम आदमी का केवल उजला धन छीना गया है। 

संसद का शीत सत्र शुरू होने के बाद से तृणमूल कांग्रेस के सांसद दोनों सदनों में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा, उत्पादन काफी गिर चुका है, कृषि गतिविधियां तबाह हो चुकी हैं, खरीद-बिक्री अप्रत्याशित रूप से नीचे चली गई है, अर्थव्यवस्था डगमगा गई है। पूरा देश अभूतपूर्व वित्तीय आपातकाल से गुजर रहा है।

मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा, किसानों, मजदूरों, असंगठित क्षेत्र के कामगारों, चाय बागान, बीड़ी और जूट मजदूरों, नियोजित वर्ग, छात्रा, बीमार, बुजुर्ग लोगों की जिंदगी तबाह हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा, आम आदमी असहाय है। गंभीर नकदी संकट के कारण माताओं एवं बहनों को अपनी छोटी निजी बचत को त्यागने पर बाध्य होना पड़ा है। उन्होंने कहा, कोई नहीं जानता कि यह दुर्भाग्यपूर्ण संकट कब खत्म होगा। कोई नहीं जानता कि आम आदमी की दिक्कतों और मुश्किलों का खात्मा करने की सद्बुद्धि कब आएगी। कोई नहीं जानता कि देश में क्या अच्छा हुआ है। भाषा एजेंसी 

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