जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार नसबंदी को बढ़ावा देती है। इसी नीति के तहत उत्तर प्रदेश में नसबंदी कराने वाले पुरूष को 2000 रुपए और महिला को 1400 रुपए दिए जाते हैं।
मजदूरों ने कहा कि हर एक को नसबंदी कराने पर 2000 रुपए का चेक मिल रहा है और काम नहीं होने की वजह से उनके पास आराम करने का पूरा समय है। लिहाजा उन्होंने पैसे की परेशानी की वजह से ही नसवंदी कराई है।
इन मजदूरों ने पीएसआई (पॉपुलेशन सर्विस इंटरनेशनल) संस्था के पास आकर नसबंदी कराया है। इनमें से कुछ मजदूरों ने कहा कि उनकी नसबंदी कराने की वजह नोटबंदी है। गोरखपुर में पॉपुलेशन सर्विस इंटरनेशनल संस्था राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर दिहाड़ी मजदूरों को नसबंदी के लिए आगे लाती है।
अलीगढ़ के नहरौला गांव के रहने वाले पूरन शर्मा ने पैसों की कमी से तंग आकर अपनी नसबंदी करा ली। पूरन शर्मा मिस्त्री हैं, उनके 2 बेटे और 1 बेटी है। पूरन के मुताबिक जब उन्हें कहीं से पैसे मिलने की उम्मीद नहीं रह गयी तो उन्होने अपनी नसबंदी कराने का फैसला किया।
पूरन शर्मा ने बताया, ”नोटबंदी के बाद मेरे पास पैसों की कमी थी। मेरे पास ना तोई जमीन और ना ही कोई और तरीका। मुझे पता चला कि नसबंदी कराने के बाद 2000 रुपये मिलते हैं. इसलिए मैंने नसबंदी कराने का फैसला किया।