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न्यूजX में पीटर-इंद्राणी के कारनामे भी कम रहस्‍यमय नहीं

पीटर और इंद्राणी मुखर्जी के न्यूज एक्स चैनल से रूखसत लेने से कुछ दिन पहले न्यूज रूम में घबराहट तारीं थी। भारत के इस पहले उच्च परिभाषा वाले खबरिया चैनल की स्थापना मुखर्जी दंपति ने सिलसिलेवार संदिग्ध सौदों के जरिये की थी। हवा में यह बात गूंज रही थी कि न्यूज एक्स का पैसा खत्म हो गया है और उसका प्रसारण बंद होने वाला है।
न्यूजX में पीटर-इंद्राणी के कारनामे भी कम रहस्‍यमय नहीं

लेकिन सभी कर्मचारियों को पत्र लिखकर मुखर्जियों ने उन्हें भारी ढाढस बंधाया, ‘‘अपने कर्मचारियों का विश्वास तोड़ना हमारे खून में नहीं है.....।’’ मुखर्जियों ने यह भी कहा कि वे कहीं नहीं जा रहे। छह दिन बाद न्यूज एक्स बेच दिया गया और मुखर्जी दंपति वहां से फूट लिए। 

बाद में पता चला कि मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और इनवेस्टमेंट बैंकरों के एक छोटे से समूह ने न्यूज एक्स का उद्धार किया था। न्यूज एक्स एक भीतरी सूत्र के अनुसार लोगों को यह नहीं पता था कि मुखर्जियों ने न्यूज एक्स का इस्तेमाल अपनी रिटायरमेंट योजना के लिए किया था। गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) की जांच में सामने आया कि इस तरह मुखर्जियों, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और अन्य लोगों ने साझेदारों को धोखा दिया। 

यह बात कम लोग जानते हैं कि तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने चैनल के धन स्रोतों के बारे में 2008 में एक जांच का आदेश दिया था। तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दास मुंशी ने चिदंबरम को न्यूज एक्स कर्मचारियों की एक शिकायत फॉरवर्ड की थी जिसमें चैनल के धन स्रोतों के बारे में संदेह व्यक्त किया गया था। कर्मचारी खुद के साथ्‍ा हो रहे व्यवहार से भी खफा थे।मु‌खर्जियों और अन्य प्रमोटरों को नोटिस भेजे गए। इससे निवेशक असहज हो गए। और उन्हें लगा कि जांच उलझती जा रही है। इसके साथ ही कंपनी की वित्तीय हालत से निवेशकों की नाराजगी भी एक वजह थी कि मुखर्जियों को अंततः दरवाजा दिखाया गया। लेकिन कंपनी के गलीज वित्तीय सौदे तभी सार्वजनिक हो पाए जब 2जी की जांच परवान चढ़ी और सीबीआई की एक प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में नीरा राडिया का नाम आया। राडिया की कंपनी न्यू कॉम कंसलटिंग प्राइवेट लिमिटेड और न्यूज एक्स के साथ्‍ा उसके सौदों की जांच भी एसएफआईओ ने की। 

इंद्राणी मुखर्जी आखिर कैसे कंपनियों के एक मकड़जाल के जरिये न्यूज एक्स की बहुसंख्यक शेयरधारक बन गईं? भीतरी सूत्रों के अनुसार न्यू सिल्क रूट, टेमासेक होल्डिंग्स और न्यू वर्नान प्राइवेट एक्विटी को बहुत देर से भान हुआ कि किसी समाचार चैनल में विदेशी कंपनियां 26 प्रतिशत से ज्यादा का निवेश नहीं कर सकती थीं हालांकि मनोरंजन चैनल में वे 100 प्रतिशत तक निवेश कर सकती थीं। इन हालात में मुखर्जियों का इस प्रस्ताव के साथ प्रवेश हुआ कि इन विदेशी संस्‍थागत निवेशकों की ओर से वे उनके शेयर धारण करेंगे। इसमें पेच यह था कि पीटर मुखर्जी खुद ब्रिटिश नागरिक थे। इस तरह मेसर्स इंद्राणी इनकॉन प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के नियंत्रण में निवेशकों का एक मकड़जाल आ गया। लेकिन सामने चेहरे के रूप में रहस्यमय अतीत वाली एक सीईओ थी जिसके कसीदे पढ़ते हुए वॉल स्ट्रीट जर्नल ने उसे इंदिरा नूयी की तरह ऐसा सीईओ बताया जिसके कॅरिअर को भविष्य में भी देखते रहने की जरूरत पड़ेगी। 

टेमासेक होल्डिंग्स को मुखर्जियों की वित्तीय चालाकियां रास नहीं आईं और उसने उन पर मुकदमा करने की धमकी तक दे डाली। उसे इस पर भी भारी ऐतराज हुआ कि मुखर्जी समूह की मनोरंजन शाखा 9एक्स की टीआरपी रे‌टिंग को न्यूज एक्स में जोड़कर प्रमोटरों के लिए एक गुलाबी तस्वीर पेश की जा रही थी कि न्यूज चैनल कितना अच्छा कर रहा है। टेलीविजन की कोई पृष्ठभूमि न होने के बावजूद इंद्राणी प्रोग्रामिंग विभाग की प्रमुख बना दी गईं जिसका बजट 350 करोड़ रुपये सालाना यानी लगभग 1 करोड़ रुपये प्रतिदिन था। समूह के अन्य लोगों को संदेह था कि शो कमीशन करने और केबल वितरण व्यवसाय में रिश्वत ली जा रही थी। 

सिर्फ मुखर्जी दंपत्ति ही नहीं, न्यू सिल्क रूट जैसे वास्तविक प्रमोटर भी दूध के धुले नहीं थे। उसके छह में से चार सह-संस्‍थापक, जिनमें मैककिनसे ख्याति के रजत गुप्ता शामिल हैं, अमेरिका में इनसाइडर ट्रेनिंग और सेक्युरिटी धोखाधड़ी की जांच के दायरे में आ चुके हैं। एसएफआईओ रिपोर्ट के अनुसार इंद्राणी मुखर्जी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड समूह की प्रमोटर कंपनियों से ऋण संबंधी समझौतों पर दस्तखत करके कर्जे लिए। दस रुपये के शेयरों की कीमत पर 208 रुपये प्रीमियम मूल्य था। शेयर सौदों में भी संदेह की दुर्गंध आती है। सन 2007 से 2009 के बीच बेचे गए शेयरों की कीमत में सिर्फ एक पैसे का इजाफा हुआ। सात जनवरी 2009 को शेयर सिर्फ 10 रुपये में बेचे गए हालांकि उनपर 208.24 रुपये का प्रीमियम था। एसएफआईओ रिपोर्ट ने इस बिक्री पर सवाल उठाए।

केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को 2014 में सौंपी गई रिपोर्ट साफ कहती है कि अन्य निदेशकों के साथ इंद्राणी मुखर्जी पर भी धारा 120बी (साजिश) के लिए मुकदमा चलाना चाहिए। ये सभी लोग मेसर्स आई एन एक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और आई एम मीडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को ठगने के बेईमान इरादे और उन्हें गलत ढंग से घाटा पहुंचाने की साजिश में शरीक थेः ‘‘इस सोची समझी योजना में ये निदेशक जरिया बने।’’ 

नीरा राडिया की एसएफआईओ जांच इस बात से बाधित हुई कि जांच टीम को राडिया टेप मुहैया नहीं कराये गए। राडिया की बीमारी की वजह से भी थोड़ी बाधा पहुंची। दरअसल, रिपोर्ट स्पष्टतः स्वीकार करती है कि अपनी जांच में वह ज्यादातर इन टेपों की आउटलुक में प्रकाशित ट्रांस्क्रिप्टों पर निर्भर थी। यदि जांचकर्ता सतह के नीचे झांकें तो वित्तीय सौदों का मकड़जाल शायद मुंबई पुलिस को शीना बोरा की हत्या का मामला हल करने में मदद करे।

 

(मूल लेख OUTLOOK पत्रिका के 07 सितंबर अंक में प्रकाशित जिसे यहां पढ़ा जा सकता है। http://www.outlookindia.com/article/muddy-waters-flow-through-this-channel/295193 ) 

 

 

 

 

 

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