मंगलवार को भारत सरकार की ओर से दावा किया गया था कि भारतीय सेना ने म्यांमार में घुसकर और वहां की सेना के साथ मिलकर 15 उग्रवादियों को मार गिराया था। भारतीय सेना के मुताबिक, ये वही उग्रवादी थे जिन्होंने पिछले दिनों मणिपुर में सेना की एक टुकड़ी पर हमला कर 18 जवानों की जान ली थी। म्यांमार के राष्ट्रपति कार्यालय के निदेशक जाव हेती ने फेसबुक पोस्ट के जरिये जानकारी दी है कि भारतीय सेना ने अपनी ही सरहद में इस कार्रवाई को अंजाम दिया था और म्यांमार अपनी सरजमीं से किसी भी विद्रोही संगठन को पड़ोसी मुल्क के खिलाफ गतिविधियां चलाने की इजाजत नहीं देगा और न ही इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। 
फेसबुक पोस्ट में हेती ने कहा है, “ततमादाव (म्यांमार की सेना) की थलसेना की बटालियन के माध्यम से हमें जानकारी मिली थी कि भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा पर भारतीय सरजमीं पर सैन्य अभियान चलाया था। म्यांमार किसी भी विदेशी को पड़ोसी मुल्क पर पीठ पीछे हमले करने की इजाजत देकर अपने लिए मुसीबत नहीं खड़ी करेगा।” म्यांमार के इस अधिकारी का बयान ऐसे समय में आया है जब भारत के मंत्रियों ने दावा किया था कि सेना की विशेष टुकड़ी ने म्यांमार में घुसकर अभियान चलाए और वहां छिपे उग्रवादियों के दो ठिकानों को ध्वस्त कर दिया।
म्यांमार का दावा, उसकी सीमा में नहीं मारे गए उग्रवादी
                                पिछले दो दिनों से भारतीय सेना की ऐतिहासिक कार्रवाई पर अपनी पीठ थपथपा रही केंद्र सरकार की खुशियों पर म्यांमार ने पानी फेर दिया है। म्यांमार के राष्ट्रपति कार्यालय से जारी बयान में इस बात का खंडन किया गया है कि भारतीय सेना ने उसकी सरजमीं पर कोई कार्रवाई करते हुए उग्रवादियों को ढेर किया है। म्यांमार सरकार का यह भी दावा है कि उसकी सेना ने भारतीय सेना को किसी तरह की मदद नहीं की है।                             
                            
                        
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