नयी दिल्ली में एक सूत्र ने बताया, पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने इसकी पुष्टि की है कि दोनों भारतीय उलेमा का पता चल गया है और वे कराची पहुंच गए हैं।
यह पुष्टि उस वक्त की गई है जब एक दिन पहले ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज से बात की थी। अजीज फिलहाल लंदन में हैं।
इससे पहले कहा गया था कि ये दोनों उलेमा मुत्तेहिदा कौमी मूवमेंट :एमक्यूएम: के साथ कथित संबंधों को लेकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी की हिरासत में थे।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सैयद आसिफ निजामी और उनके भतीजे नाजिम निजामी को 14 मार्च को लाहौर के अल्लामा इकबाल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से कराची जा रही शाहीन एयरलाइंस की उड़ान से उतारा गया।
सूत्रों ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा, खुफिया एजेंसी के कर्मियों ने विमान से उतारने के बाद दोनों उलेमा को हिरासत में ले लिया और जांच के लिए उन्हें एक अज्ञत स्थान पर ले गए।
उन्होंने कहा कि दोनों उलेमा को अल्ताफ हुसैन की पार्टी एमक्यूएम के साथ कथित संबंधों के लिए हिरासत में लिया गया। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कुछ ना पाए जाने पर उन्हें रिहा कर दिया जाएगा।
एमक्यूएम पाकिस्तान में 1980 के दशक में सबसे बड़ी जातीय पार्टी के रूप में उभरी थी। सिंध प्रांत के दक्षिणी शहरी इलाकों खासकर कराची, हैदराबाद, मीरपुरखास और सुक्कुर में पार्टी का राजनीतिक वर्चस्व है जहां भारत-पाक बंटवारे के बाद पाकिस्तान जाने वाले उर्दू भाषी लोगों की एक बड़ी आबादी रहती है।
आसिफ निजामी 80 साल के हैं और वह हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह के सज्जादानशीं हैं। वह अपनी बहन से मिलने 8 मार्च को अपने भतीजे नाजिम अली निजामी के साथ पाकिस्तान गए थे। वे 13 मार्च को कराची पहुंचे और पाकपट्टन में सूफी बाबा फरीद गांग के दरगाह पर जियारत के लिए गए। दोनों 14 मार्च को लाहौर से लापता हो गए। भाषा