सरोजनी नगर की एक महिला ने अपना मकान 50 लाख रूपये में बेचने का सौदा किया। महिला ने सरकारी कर की चोरी और मकान बेचने की लिखा-पढ़ी का खर्च बचाने के लिए खरीदार से मकान को कानूनी तौर पर 10 लाख रुपये में बेचने और बाकी का 40 लाख रुपये नकदी में लेने की शर्त रखी।
शर्त के आधार पर दोनों के बीच मकान खरीद-बिक्री का सौदा हो गया, लेकिन इसी बीच सरकार द्वारा पुराने नोटों का चलन बंद किये जाने के निर्णय से अब मकान मालकिन को पूरे 40 लाख रुपये की चपत लग गयी। नोट बंद होने के निर्णय के बाद अब खरीदार तो 40 लाख रुपये देने के लिए खुशी खुशी राजी है, लेकिन महिला आयकर छापे और इसे वैध नहीं कर पाने के डर से पैसा लेने से खुद ही मुकर गयी।
इसी प्रकार एक अधिकारी ने सेवानिवृत्ति से मिलने वाली राशि को राजधानी में मकान खरीदने के लिए अपने दो बेटों के बीच 30-30 लाख रुपये में बांट दिया। मकान बेचने वाले बिल्डर ने भी सरकारी कर की चोरी और खरीद-बिक्री के खर्च से बचने के लिए खरीदारों को 60 प्रतिशत राशि नकदी और 40 प्रतिशत राशि चेक के जरिये अदा करने का प्रस्ताव दिया।
अपना-अपना सरकारी खर्च बचाने के लिए खरीदारों ने 60 प्रतिशत राशि नकदी में दे दी, जो अब प्रधानमंत्री की अचानक नोट बंद करने की घोषणा के बाद सफेद होने के बावजूद अपने आप ही कालेधन में बदल गयी। इसके अलावा जनधन खातों की जमा राशि में अचानक बढ़ोतरी आने की भी खबरें मिल रही हैं।
एक महिला ने अपनी गाढ़ी कमाई के नोटों के बंडल को बड़े नोटों में तब्दील कराया, लेकिन बंदी के फैसले से महिला को ऐसा सदमा लगा कि उसकी मौत हो गयी। नोट बंदी के बाद एक दो स्थानों में दुकाने लूटने और मारपीट होने की भी खबरे हैं।
सूत्रों ने बताया कि देश के दूर दराज के इलाकों में दबंग लोग जबरन गरीबों के खाते में पैसा जमा करवाकर उसे वैध बनाने के काम में लगे हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें कुछ प्रतिशत का हिस्सा भी मिलता है, लेकिन इससे सरकार के इस बड़े कदम का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा। दिल्ली के अखबारों में 30-35 प्रतिशत के कमीशन पर पुराने नोटों को बदलने के धंधे की भी खबरें छप रही हैं। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन सूत्र पेट्रोल पंपों के जरिये भी काले-सफेद का धंधा चलने की काना-फूसी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि नोट बंद करने की घोषणा और रेलवे स्टेशन अथवा अस्पताल में इनके चलने की छूट देने के बाद लोगों द्वारा लंबी दूरी के और महंगे टिकट खरीदकर तथा फिर उसे रद्द कराकर काली कमाई को सफेद में बदलने के उदाहरण सामने आ रहे हैं। भाषा एजेंसी