प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करीबियों में गिनी जाने वाली आनंदी बेन पटेल पर आरोप लग रहा है कि 15 हजार वर्गमीटर के विशाल घेरे में फैले अपने धर्म फार्म के बंगले से वह व्यावसायिक गतिविधियां चला रही हैं। यूं तो यह कारोबार पिछले 20 वर्षों से चल रहा है मगर अब एक आरटीआई के कारण इस मसले का भंडाफोड़ हुआ है। वैसे 'अनार रिटेल प्राइवेट लि.’ के नाम से चल रहे इस कारोबार की हकीकत छिपाने की अब भी पूरी कोशिश की जा रही है।
इस कंपनी की स्थापना जब 1994 में की गई थी तब इस कंपनी का नाम अनार फिन इंजीनियर प्रा.लि था। 2005 में इसका नाम बदलकर अनार सॉफ्ट कॉम प्रा. लि. रखा गया और अब इसका नाम बदलकर अनार रिटेल प्रा. लि. कर दिया गया है। इतनी बार इस कंपनी का नाम क्यों बदला गया इसका कारण भी ज्ञात नहीं है। गौरतलब है कि इस बारे में एक सूचना कार्यकर्ता ने जुलाई, 2014 को आरओसी (रजिस्टार ऑफ कंपनीज) में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी है कि 'अनार रिटेल प्रा.लि.’ का कारोबार पिछले 20 सालों से आनंदी बेन पटेल के निवास स्थान धर्म फार्म से चलाया जा रहा है, क्या यह आरओसी को पता है? क्या एमसीए (मिनिस्टर ऑफ कार्पोरेट अफेयर) को इस बात की जानकारी है? पुलिस के कड़े बंदोबस्त के घेरे में बसे इस बंगले में जहां किसी ग्राहक के आने-जाने का रास्ता न हो, ऐसी स्थिति में क्या इस तरह के विशाल बंगले से इतना बड़ा कारोबार चलाया जा सकता है? क्या इसका ट्रांजेक्शन घर से किया जा रहा है? क्या एमसीए ने भी कंपनी कहां से चलाई जा रही है इस बारे में कभी जांच की? यह कंपनी अपने कारोबार में क्या खरीद-बेच रही है?
इस आरटीआई के बाद मामले की जांच करने के बजाय पूरा तंत्र और आरओसी के अधिकारी मुख्यमंत्री को बचाने में लगे हैं। सबसे प्रमुख बात यह है कि एमसीए की वेबसाइट में 'अनार रिटेल प्राइवेट लि.’ का पता धर्म फार्म, शान बंगले के पास, शीलज, तालुका दसकोई, अहमदाबाद-58 लिखा है। कमोबेश उनके निवास स्थान का यही पता आनंदी बेन पटेल के हलफनामे में भी दर्ज है। इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन नंबर 22886 है। इस कंपनी के निदेशक उनके पुत्र श्वेतांग मधुवीर पटेल और उनकी पत्नी हिना बेन पटेल हैं। श्वेतांग पटेल का नाम संजय पटेल भी है लेकिन यह अलग बात है कि वह अपना नाम कभी संजय पटेल कभी श्वेतांग मधुवीर पटेल लिखते रहते हैं। यह भी दिलचस्प है कि उनके पिता मफतभाई पटेल का नाम शादी से पहले मधुवीर पटेल था लेकिन शादी के बाद उन्होंने अपना नाम मफतभाई पटेल रख लिया। आनंदी बेन पटेल के हलफनामे में उनका नाम आनंदी मफतभाई पटेल दर्ज किया गया है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि आमतौर पर जमीन-जायदाद या कारोबार में मफतभाई पटेल के बजाय मधुवीर पटेल नाम ही दर्ज किया जाता है। इस कंपनी का कुल निवेश 38 लाख रुपये से ज्यादा है और कंपनी के उत्पाद की बिक्री 2009-10 में 7 करोड़ 32 लाख, 2010-11 में 7 करोड़ 42 लाख और 2011-12 में 9 करोड़ 5 लाख रुपये दिखाई गई है। लेकिन 2013 से इस कंपनी ने अपनी कोई बैलेंस शीट जारी नहीं की है। यह सवाल पूछा जा रहा है कि करोड़ों रुपयों का यह कारोबार घर से कैसे चलाया जा रहा है? रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी की भूमिका इसलिए सवालों के घेरे में है कि अगर कोई आम आदमी ऐसा करता तो आरओसी अब तक उस पर मोटा जुर्माना ठोक चुका होता या रिटेल स्टोर बंद करने का नोटिस थमा देता लेकिन चूंकि यह मुख्यमंत्री के परिवार का मामला है और मुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री की करीबियों में गिनी जाती हैं इसलिए जाहिर है कि उन्हें पूरा राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है।
सरकारी रवैये का हाल यह है कि पूरे मामले की सूचना मांगने वाले सूचना अधिकार कार्यकर्ता को इस बारे में कुछ जवाब देने के बजाय उलटा उसके खिलाफ अगस्त, 2014 में आनंदी बेन पटेल की फेसबुक पर एक टिप्पणी देने पर सूचना अधिनियम की धारा 66 ए के तहत मामला दर्ज कर उनका लैपटॉप जब्त कर लिया गया। लेकिन बाद में मार्च, 2015 में उच्च न्यायालय में 66 ए रद्द होने पर और फरियादी के अदालत जाने पर अदालत ने उनका लैपटॉप वापस करने का आदेश दिया। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी ने 9 महीने तक कुछ नहीं किया और बाद में खानापूर्ति के लिए मई, 2015 में अनार रिटेल प्रा.लि. के नाम नोटिस निकाला जिसमें कहा गया कि आपका कोई स्टोर नहीं है इसकी जानकारी फरियादी को 10 दिन में दी जाए, नहीं तो कंपनी अधिनियम -2013 के तहत आप पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह समाचार स्थानीय समाचारपत्रों में भी प्रकाशित हुआ। लेकिन बाद में फिर इस मामले को दबा दिया गया। ताज्जुब की बात यह है कि रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज खुद जांच करने के बजाय फरियादी को अपना मामला बैठकर सुलझाने का आदेश दे रहा है। जिसका तात्पर्य यह हुआ कि उलटा चोर कोतवाल को डांटे। नोटिस के एक महीने के बाद जब सूचना कार्यकर्ता ने आरओसी के उप-रजिस्ट्रार एम.के. साहू से पूछा कि आप ञ्चया कार्रवाई कर रहे हैं तो वह उस नोटिस से भी मुकर गए और सूचना अधिकार कार्यकर्ता को लिखा कि आप एमसीए से जानकारी मांगें। आरओसी के उप रजिस्ट्रार एम.के. साहू से जब इस संवाददाता ने बात की तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। एक बड़ा सवाल यह है कि इस रिटेल कंपनी की मार्केटिंग और प्रमोशन कौन कर रहा है और करोड़ों के इस कारोबार को छुपाकर क्यों रखा गया? आरओसी के अधिकारी जिस तरह मामले को दबा रहे हैं उससे भी किसी गड़बड़झाले की बू आती है।
गौरतलब है कि मई, 2012 को आनंदी बेन पटेल के इसी विशाल धर्म फार्म बंगले में पुलिस का कड़ा बंदोबस्त होने के बावजूद चोरी हुई थी। उस समय आनंदी बेन राजस्व मंत्री थीं। सूत्र बताते हैं कि चार लोगों ने कई घंटे चोरी की और करोड़ों का माल चोरी हुआ था। ऐसे में सवाल उठते हैं कि क्या पुलिस को नहीं मालूम था कि यहां से यह कंपनी चलाई जा रही है? इस बात पर लीपापोती करने के लिए जो बयान लिखे गए वह बेहद चौंकाने वाले थे। इस पूरे मामले की जांच बोपल के पुलिस इंस्पेक्टर बी.के. राना कर रहे थे। आनंदी बेन का कहना था कि चोर म्यूजिक सिस्टम ले गया और उस समय बिजली गुल होने के कारण सीसीटीवी बंद था जिसके कारण चोर का चेहरा सीसीटीवी में नहीं आ पाया। दूसरी प्रमुख बात यह थी कि आनंदी बेन पटेल ने बताया कि उनका पुत्र श्वेतांग पटेल अमेरिका गया हुआ था। कमाल की बात है कि श्वेतांग पटेल ने अमेरिका से लौटने के बाद पुलिस को बयान दिया कि उनके घर तो म्यूजिक सिस्टम था ही नहीं। पुलिस को यह भी नहीं बताया गया कि इस बंगले में अनार रिटेल प्रा.लि. का कारोबार चलाया जा रहा है। घर में साजो-समान का इंश्योरेंस है या नहीं इसकी सूचना भी नहीं दी गई। या तो पुलिस को अंधेरे में रखा गया या पुलिस की मदद से कोई बड़ा मसला दबाने की कोशिश की गई। यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि गुजरात में बिजली का संकट नहीं है। अगर बिजली जाती भी है तो थोड़ी देर के लिए, घंटों के लिए नहीं। दूसरी प्रमुख बात यह है कि बिजली आने के बाद सीसीटीवी में अपराधियों के चेहरे आ जाते हैं। लेकिन इस मामले को पूरा दबाने का प्रयास किया गया।