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राफेल से ताकत तो बढ़ेगी, पर जरूरत ज्यादा स्क्वाड्रन की

भारत ने फ्रांस के साथ जिन 36 राफेल विमानों की खरीद का करार किया है, उनको वायुसेना में शामिल किए जाने के बाद दो स्क्वायड्रन बढ़ जाएंगे। ये विमान 2019 से 2023 के बीच भारत को मिलेंगे। माना जा रहा है कि इससे भी लड़ाकू विमानों की कमी पूरी नहीं होगी। अभी ही वायुसेना के बेड़े में विमान कम हैं। सेवारत मिग विमानों के फेज आउट होने के बाद संख्या और घटने वाली है। ऐसे में भारत की उम्मीदें अमेरिका, स्वीडन और रूसी कंपनियों से भविष्य में होने वाले विमान खरीद सौदों पर टिकी हैं।
राफेल से ताकत तो बढ़ेगी, पर जरूरत ज्यादा स्क्वाड्रन की

भारतीय वायुसेना के पास आज की तारीख में लड़ाकू विमानों के 32 स्क्वायड्रन हैं। मंजूरी 42 स्क्वायड्रन की है। एक तो ऐसे ही बेड़े में लड़ाकू विमानों की कमी है। ऊपर से इस दशक में मिग विमान सेवा से बाहर हो जाएंगे। ऐसे में जो कमी आएगी, उसे स्वदेशी तेजस विमानों को शामिल कर पूरा करने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन निगाहें अमेरिकी एफ-16 और स्वीडिश ग्रिपेन विमानों के सौदों पर टिकी हैं।

परमाणु हथियार ढो सकने वाले राफेल विमानों की खरीद को लेकर 2012 से ही बात चल रही है। तब देश में कांग्रेस नीत यूपीए की सरकार थी। 126 विमानों की खरीद की योजना थी, लेकिन इसे निर्मित करने वाली कंपनी डेसाल्ट के साथ तकनीकी डीटेल्स पर बातचीत चलती रही। दूसरे, फ्रांसीसी वायुसेना अपने मिराज-2000 विमानों को फेज आउट कर राफेल को बेड़े में शामिल कर रही है। फ्रांसीसी मिराज-2000 विमानों को अपग्रेड कर भारतीय वायुसेना इसका इस्तेमाल भी परमाणु हथियार ढोने के लिए करेगी। वायु सेना के सूत्रों के अनुसार, फ्रांस से इन विमानों की मेंटीनेंस, स्पेयर पाट्सर् और तकनीकी सहयोग मिलता रहेगा। भारतीय वायुसेना जब 2030 से मिराज-2000 विमानों को फेज आउट करना शुरू करेगी, तब बड़े के लिए और विमानों की जरूरत होगी।

बहरहाल, राफेल विमान बनाने वाली डेसाल्ट कंपनी भारतीय वायुसेना की जरूरत के अनुसार इसमें बदलाव कर रही है। एक यूरोपीय मिसाइल निर्माता कंपनी एमबीडीए इसमें फिट की जा सकने वाली मीटियोर मिसाइल बना रहा है, जो 100 किलोमीटर तक हवा से हवा में मार कर सकेगी। एमबीडीए द्वारा तैयार की जा रही स्टॉर्म शैडो मिसाइल (फ्रांसीसी सेना में स्कैल्प कही जाने वाली मिसाइल) को भी राफेल में फिट किया जा सकेगा। इसकी मारक क्षमता 560 किलोमीटर की है। इसमें भारतीय ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल भी लगाई जा सकेगी।

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