सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि आखिर महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की सुनवाई के लिए आपके पास क्या सबूत है, याचिका के लिए देरी का क्या कारण है और लंबे समय बाद क्या कोई गवाह जीवित है? केवल एक फोटो के आधार पर कैसे सुनवाई संभव है। अब इस मामले में कोर्ट चार सप्ताह बाद सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट को मामले में कानून के मुताबिक चलना होता है। इतने सालों बाद इस में कोई सबूत नहीं आ सकता, न ही कोई गवाह जिंदा बचा है। याचिकाकर्ता तीन बातों पर अपना पक्ष रखें, याचिका को लेकर देरी क्यों, आपका इस मामले में फोकस क्या है, अब इस मामले में कोई सबूत नहीं है और न ही कोई गवाह जीवित है तो मामले की सुनवाई आगे कैसे बढ़ेगी? कोर्ट ने कहा कि घटना को घटे एक लंबा समय हो चुका है, ऐसे में कोई विश्वसनीय गवाह कैसे मिलेगा।.सिर्फ एक फोटोग्राफ के आधार पर सुनवाई कैसे कर सकते हैं। कानून के मुताबिक फोटो लेने वाले को यह बताना होगा कि किन परिस्थितियों में फ़ोटो ली गई है।
इससे पहले महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की जरूरत न बताते हुए एमिकस क्यूरी अमरेंद्र शरण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे यह साबित हो महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे की जगह किसी और ने की हो। एमिकस क्यूरी ने अपने जवाब में कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो याचिकाकर्ता पंकज फडणीस के चार गोलियां लगने के दावे को साबित करे या महात्मा गांधी की हत्या के पीछे किसी और का हाथ था। सुप्रीम कोर्ट ने अमरेंद्र शरण को इस मामले में एमिकस नियुक्त किया था। याचिकाकर्ता पंकज फडणीस ने महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की मांग की है।