सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से रिपोर्ट तलब की और पूछा कि लोगों को जो दिक्कत हो रही है उससे निपटने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है। सुप्रीम कोर्ट में 4 अलग-अलग लोगों ने याचिका दाखिल कर सरकार के इस फैसले को रद्द करने की मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ लोगों की असुविधा पर रिपोर्ट मांगी है। एक याचिकाकर्ता आदिल अल्वी की तरफ से कपिल सिब्बल ने बहस की थी।
इन याचिकाओं में कहा गया था कि सरकार के इस फैसले से नागरिकों के जीवन और व्यापार करने के साथ ही कई अन्य अधिकारों में बाधा पैदा हुई है। मुख्य न्यायधीश टी.एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ इस याचिका पर सुनवाई की। सरकार के फैसले के खिलाफ चार याचिकाएं दायर की गईं थीं। सरकार ने आठ नवंबर की मध्यरात्रि से 500 और 1000 रुपये के नोट चलन से वापस लेने का फैसला किया। इनके स्थान पर 500 और 2000 रुपये का नया नोट जारी किया गया है।
सरकार के फैसले के खिलाफ दायर चार याचिकाओं में दो जनहित याचिकाएं दिल्ली के वकील विवेक नारायण शर्मा और संगम लाल पांडे ने दायर की जबकि दो अन्य याचिकाएं दो व्यक्तियों एस. मुथुकुमार और आदिल अल्वी ने दायर की। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार के अचानक लिए गए इस फैसले से चारों तरफ अफरातफरी मच गई और लोगों को काफी परेशानी हुई है। ऐसे में आर्थिक मामलों के विभाग की संबंधित अधिसूचना को या तो खारिज कर दिया जाना चाहिए और कुछ समय के लिए स्थगित रखा जाना चाहिए।
केंद्र सरकार की तरफ से न्यायालय में कैविएट याचिका दाखिल की गई इसमें कहा गया है कि अगर पीठ नोट पर पाबंदी को चुनौती देने वाली किसी याचिका पर सुनवाई करती है और कोई आदेश जारी करती हैं तो उससे पहले केंद्र का पक्ष भी सुना जाना चाहिए।