नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने संसद में पेश रिपोर्ट में कहा कि केवल इतना ही नहीं, वायुसेना एक प्रशिक्षक माॅडल की उपलब्धता के बिना लड़ाकू एलसीए को शामिल करने के लिए मजबूर होगी और इससे पायलट प्रशिक्षण पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
कैग ने कहा कि एलसीए के निर्माण और आपूर्ति में देरी की वजह से वायुसेना को वैकल्पिक अस्थायी कदम उठाने पड़े जिनमें मिग बीआईएस, मिग-29, जगुआर और मिराज विमानों को 20,037 करोड़ रपये की लागत से उन्नत करना और मिग-21 विमानों को चरणबद्ध तरीके से हटाने पर पुनर्विचार करना शामिल है। कैग ने खामियां गिनाते हुए कहा कि एलसीए मार्क-। वायुसेना के लिए जरूरी इलेक्टाॅनिक युद्धक क्षमताएं पूरी करने में विफल रहा है क्योंकि कुछ अड़चनों की वजह से विमान में आत्म-रक्षा जैमर नहीं लगाया जा सका।
उसने कहा कि मार्क-। की खामियां मार्क-2 माॅडल में समाप्त होने की उम्मीद है। इन खामियों में बढ़ा हुआ वजन, ईंधन क्षमता में कमी, ईंधन प्रणाली की सुरक्षा का पालन नहीं करना आदि हैं।
कैग के मुताबिक, एलसीए मार्क-। की खामियां दिसंबर 2018 तक एलसीए मार्क-2 में समाप्त होने की उम्मीद है।
एलसीए के स्वदेश में निर्माण की परियोजना को 1983 में 560 करोड़ रपये की लागत से मंजूरी दी गयी थी। समय समय पर बढ़ते बढ़ते यह 10397.11 करोड़ रपये पहुंच गयी।