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आतंकी बहादुर अली ने पाकिस्तान की चाल का खुलासा किया

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पकड़े गए लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी आतंकी बहादुर अली से पूछताछ के आधार पर कहा है कि उसे पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से निर्देश मिलते थे। बहादुर अली ने एनआईए को बताया है कि उसे पाकिस्तान में लश्कर के ठिकानों पर ट्रेनिंग दी गई और कश्मीर में माहौल बिगाड़ने का काम सौंपा गया। इसमें पाकिस्तान सेना का भी सहयोग रहता था।
आतंकी बहादुर अली ने पाकिस्तान की चाल का खुलासा किया

बहादुर अली को सुरक्षा बलों ने उत्तरी कश्मीर से पकड़ा था। एनआईए के आईजी संजीव कुमार सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में बहादुर अली के इक़बालिया बयान का एक वीडियो दिखाया। उसे 25 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। कश्मीर घाटी में जारी हिंसा और अशांति को लेकर एनआईए ने तश्कर ए तैय्यबा की भूमिका की जांच शुरू की है। बहादुर अली से पूछताछ के आधार पर एनआईए ने कई खुलासे किए हैं।

एनआईए ने बताया कि बहादुर अली से पूछताछ से पता चला कि पाकिस्तान फौज भारतीय सीमा में हथियारबंद आतंकियों की घुसपैठ करा रही है। आम लोगों के बीच घुल-मिल जाते हैं आतंकी और हिंसा भड़काते हैं। बहादुर अली को इसी मकसद से भेजा गया था। अली के पास एक स्पेशल वायरलेस सेट था जिसके माध्यम से वाई-एसएमएस भेजे जा सकते हैं। एनआईए के आईजी ने दावा किया कि हिज़बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद अली और उनके साथियों को सीमा पार से निर्देश दिए गए थे कि वे सभी वहां जाएं और जनता में घुलमिलकर अशांति फैलाएं। जमात-उद-दावा ने 2008-09 में बहादुर अली को भर्ती किया था। उसे मिलिट्री ट्रेनिंग भी दी गई थी। वह तीन महीने के ट्रेनिंग कोर्स में शामिल हुआ। पहले उसे पाक मनशेरा मे दौरा-ए-तुलबा की ट्रेनिंग ली। इसके बाद अक्सा में दौरा-ए-आम 14 में ट्रेनिंग दी गई। इसके बाद उसे 30 दिन की दौरा-ए-खास ट्रेनिंग दी गई।

बहादुर अली ने बताया कि 30 से 50 आतंकी ट्रेनिंग के दौरान कैंप में रहते थे। ट्रेनिंग कैंप में पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों के साथ-साथ कुछ पश्तो बोलने वाले आतंकी भी होते थे। इन युवकों को अफगानिस्तान भेज दिया जाता था। बहादुर ने बताया कि पाकिस्तान में भारत में मारे जाने वाले आतंकियों का नमाज-ए-जनाजा निकाला जाता है और उनके लिए नमाज अदा की जाती है। वह भी साउथ कश्मीर में मारे गए अबू कासिम के नमाज-ए- जनाजे में शामिल हुआ था।
लश्कर-ए-तैयबा के कंट्रोल सेंटर अल्फा 3 से संपर्क में था बहादुर अली। यह फिक्स कम्युनिकेशन सेंटर पीओके में एक ऊंचे स्थान पर बनाया गया था। इस कंट्रोल सेंटर से बहादुर अली को बताया जाता था कि कब हमला करना है, कहां से खाना मिलना है और कब लोगों से घुलना-मिलना है। बहादुर अली एक महीने से कश्मीर में था।

एनआईए ने बताया कि 11-12 जून को बहादुर अली अपने दो साथियों साद और दर्दा के साथ भारतीय सीमा में दाखिल हुआ था। इस दौरान वह पाकिस्तानी सेना के अधिकारी हैदर के संपर्क में था। भारतीय सीमा में दाखिल होने के बाद वह अपने दोनों साथियों से अलग हो गया। बहादुर के बाद जापान के वायरलेस सेट का मॉडिफाइ वर्जन था। यह वही कर सकता है, जिसकी इलेक्ट्रॉनिक्स में हाई लेवल की ट्रेनिंग हो। इस सेट से बिना सिम कार्ड के एसएमएस कर सकते हैं।
भारत में घुसने के बाद बहादुर एक गांव में रुका और तीन-चार दिन वहीं रहा। इसके बाद वह हंदवाड़ा में एक महीने तक रहा। उसी समय पुलिस को खबर मिली थी कि इलाके में संदिग्ध आदमी घूम रहा है और लोगों के बीच घुलने मिलने की कोशिश कर रहा है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके पास हाई क्वॉलिटी का ट्रांसमिशन सेट, भारतीय मुद्रा, यूनिकोड शीट, जीपीएस आदि बरामद किया गया। एनआईए के मुताबिक पूछताछ में उसने अपने नाम बहादुर अली पुत्र मोहम्मद हनीफ बताया। उसने अपना पता रायविंड, लाहौर बताया। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर एक-47 समेत हथियारों का जखीरा बरामद किया। 

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