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तुगलकाबाद गैस रिसाव: कंटेनर पर नहीं था खतरनाक कैमिकल का लेबल

तुगलकाबाद कंटेनर डिपो में बायोकेमिकल के रिसाव ने एक बार फिर सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मिली जानकारी के अनुसार, जिस कंटेनर में यह हादसा हुआ, उस पर खतरनाक कैमिकल का लेबल भी चस्पा नहीं किया गया था। यह रिसाव ज्यादा होता तो भोपाल गैस कांड जैसा हादसा हो सकता था। इस लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है, यह बड़ा सवाल है।
तुगलकाबाद गैस रिसाव: कंटेनर पर नहीं था खतरनाक कैमिकल का लेबल

सेंट्रल एक्साइज व कस्टम के तुगलकाबाद स्थित कंटेडर डिपो में खासी संख्या में कंटेनर खड़े होते हैं, लेकिन इनके सुरक्षा इंतजामों में बड़ी चूक सामने आई है। शनिवार सुबह एक कंटेटर में लाए जा रहे बायोकेमिकल में रिसाव हो गया और तीन सौ स्कूली बच्चे अस्पताल पहुंच गए। प्रथम दृष्टया इस मामले में सामान्य सुरक्षा नियमों में लापरवाही सामने आई है। ऐसे हादसों से निपटने के लिए आपातस्थिति में क्या प्रक्रिया अपनाई जाए, इसके लिए स्टाफ भी प्रशिक्षित नहीं था। 

ऑल इंडिया गुड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील अत्री ने बताया कि डिपो में कंटेनर के लिए सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं तथा सीधे तौर पर यह देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने बताया कि आधे से ज्यादा कंटेनर अवैध होते हैं और एक ही बिल्टी पर कई कंटेनर का माल पास हो जाता है। अफसरों की मिलीभगत से यहां माफिया तंत्र का राज है। जिस कंटेनर में रिसाव हुआ उसमें साफ तौर पर यह घोषणा नहीं लगाई गई थी कि किस तरह का पदार्थ रखा गया है। दोषी अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले 2010 में एशिया के सबसे बड़े स्‍क्रैप बाजार मायापुरी में खतरनाक रेडियम मिलने का मामला सामने आया था। शुरु में जो पदार्थ मिला था उसे नजरअंदाज कर दिया गया। बाद में यह कोबाल्ट-60 पाया गया। यह कैंसर जैसी बीमारियों में काम आता है। इसे कबाड़ के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय ने बेचा था। पता चला कि यह रेडियोएक्टिव पदार्थ खासा खतरनाक साबित हो सकता था। 

 

 

 

 

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