न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ विकास और विशाल द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर की गईं अपीलों पर फैसला सुनाया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी उम्रकैद की सजा किसी छूट के बिना 25 साल तक के लिए बढ़ा दी थी और सबूत नष्ट करने के लिए पांच साल की अतिरिक्त सजा दी थी। उच्च न्यायालय ने कटारा की हत्या को ‘झूठी शान के लिए’ हत्या करार दिया था।
विकास और विशाल के सहयोगी सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की उम्रकैद की सजा भी किसी छूट के बिना 25 साल तक के लिए बढ़ा दी गई थी। अदालत ने उनके द्वारा किए गए अपराध को ‘दुर्लभ में भी दुर्लभतम श्रेणी’ का करार दिया था, लेकिन यह कहते हुए फांसी की सजा नहीं सुनाई थी कि उनके सुधार और पुनर्वास की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। उच्चतम न्यायालय ने 17 अगस्त 2015 को विकास, विशाल और सुखदेव की दोषसिद्धि को बरकरार रखा था तथा कहा था कि इस देश में ‘केवल अपराधी ही न्याय के लिए चिल्ला रहे हैं।’
शीर्ष अदालत ने दोषसिद्धि को कायम रखते हुए कहा था कि वह उच्च न्यायालय द्वारा बढ़ाई गई तीनों दोषियों की सजा की अवधि के संबंध में सीमित पहलू पर याचिकाओं पर अलग-अलग विचार करेगी। इसने सजा की अवधि की गुंजाइश पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था और छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था। पूर्व में उच्च न्यायालय ने कहा था कि कटारा की हत्या ‘झूठी शान’ के नाम पर की गई हत्या है, जो ‘चरम प्रतिशोध’ की भावना से ‘बहुत ही योजनाबद्ध और नियोजित तरीके से की गई।’ कटारा के विकास की बहन से प्रेम संबंध थे। अदालत ने विकास और विशाल पर लगाए गए जुर्माने की राशि भी बढ़ा दी थी और उन्हें छह सप्ताह में 54-54 लाख रुपए निचली अदालत में जमा करने का निर्देश दिया था।