नई दिल्ली। क्रिकेट और राजनीति के घालमेल से सामने आए ललित मोदी, सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे प्रकरण के बाद अब बारी केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की है। लंबे समय से दिल्ली जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) पर काबिज अरुण जेटली पर ललित मोदी ने तो ट्वीट के जरिये अब हमला बोला है मगर जेटली की ही पार्टी के लोकसभा सांसद कीर्ति आजाद ने तो जून के पहले सप्ताह में ही उन्हें तीखा पत्र लिखकर डीडीसीए में हुए घोटालों पर जवाब मांग लिया था। यूं तो आजाद लगातार जेटली पर हमलावर रहे हैं और जेटली उनके आरोपों को हवा में उड़ाते रहे हैं मगर अब बदली हुई परिस्थितियों में जेटली के लिए इन आरोपों को खारिज करना आसान नहीं होगा। आजाद ने चिट्ठी लिखकर जेटली को आगाह किया था कि डीडीसीए में प्रशासन किस कदर बेलगाम हो चुका है, फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के निर्माण के नाम पर कितना बड़ा घोटाला किया गया है। इसी पत्र के कुछ मुख्य अंश इस प्रकार हैंः
अब लगता है कि डीडीसीए को लेकर क्रिकेट प्रेमियों की आशंका सच साबित हो रही है। ऐसा लगता है कि कई सरकारी एजेंसियां भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के विभिन्न मुद्दों के जरिये डीडीसीए पर कब्जा जमा रखा है जिससे डीडीसीए का बर्बाद होना तय है और इस इकाई के समर्थन में कोई नहीं आगे आ रहा है। पूर्व और वर्तमान के लगभग सभी अधिकारियों ने डीडीसीए को अंतिम दम तक निचोड़ने का ही काम किया है। यह सब हम क्या देख रहे हैं?
- सन 2013-14 की बैलेंस शीट भी सही तरीके से नहीं बनाई जा सकती है क्योंकि इसमें एस. पी. बंसल और अनिल खन्ना ने 1.55 करोड़ रुपये के फर्जी बिल और गलत खर्चे दिखाए हैं। यह सब पंकज भारद्वाज, सी. के. भारद्वाज, प्रीतम पंवार और चौरसिया की मिलीभगत से किया गया है। सही तरीके से तैयार बैलेंस शीट के बगैर डीडीसीए को बीसीसीआई आगे कोई सहायता राशि नहीं देगा।
- संजय भारद्वाज ने तीसहजारी अदालत में हलफनामा (केस संख्या 215 (3)) दिया है कि ऑडिट करने वाली संस्था का विघटन हो चुका है। यदि ऐसा है तो क्या डीडीसीए के खातों की ऑडिट के लिए इस संस्था को नियुक्त करने की अनुमति क्या आपने दी है? यह संस्था किस हैसियत से डीडीसीए के गड़बड़ खाते की ऑडिट कर रही है? इस संस्था को लोक अदालत या सीएलबी मामलों में डीडीसीए का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति कैसे दी जा रही है?
- पुलिस अधिक उम्र वाले खिलाड़ियों के मामले में पहले ही एक प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है जिसमें कई लड़कों ने धोखे से कम उम्र वाले प्रमाण-पत्र सौंपे हैं और दिल्ली की तरफ से कम आयु वर्ग की टीम में खेल रहे हैं। दिल्ली की अंडर 14 टीम के कप्तान मनजोत सिंह कालरा की अधिक उम्र को लेकर हमारा संगठन और बिशन सिंह बेदी जी भी कई शिकायतें कर चुके हैं और इन शिकायतों को सुनील देव कचरे की पेटी में डालते रहे क्योंकि वह बखूबी जानते हैं कि इस लड़के का विशेष तौर पर चयन उन्होंने ही किया है। खिलाड़ियों के चयन में एक बड़ा घपला चल रहा है जिसके उजागर होने पर डीडीसीए और आपकी बहुत खराब छवि सामने आ सकती है। हमारे बार-बार अनुरोध करने के बावजूद आपने इस धोखाधड़ी को दबाना ही सर्वश्रेष्ठ समझा और सुनील देव तथा विनोद तिहारा जैसे लोगों का समर्थन करते रहे ताकि सच दफन ही रहे।
इस तरह के कई घोटालों का जिक्र करते हुए कीर्ति आजाद ने जेटली का ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश की है और कई संबंधित पत्र भी संलग्न किए हैं। पत्र में उन्होंने साफ तौर पर लिखा है, ‘कानून का उल्लंघन करने के मामले में किसी भी वक्त आपके पुराने करीबी जेल जा सकते हैं लेकिन आप अब भी उन्हें बचाने के लिए सभी हथकंडे अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। अक्सर आप कहते भी रहे हैं कि कानून अपना काम करेगा। लिहाजा मुझे पूरा विश्वास है कि आप चाहे उन्हें बचाने की जितनी कोशिश कर लें, कानून अपना काम जरूर करेगा। डीडीसीए की धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के खात्मे में आपने कभी हमारे प्रयासों काे सहयोग नहीं किया लेकिन हमने अपना प्रयास जारी रखा है। मैं वादा करता हूं कि आपको जल्दी इसके परिणाम मिलेंगे।’