ईरान की परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रमुख मोहम्मद इस्लामी ने मंगलवार, 24 जून 2025 को घोषणा की कि अमेरिका और इजरायल के हालिया हमलों से हुई क्षति के बावजूद ईरान का परमाणु कार्यक्रम निर्बाध रूप से जारी रहेगा। इस्लामी ने कहा, "हमारा परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और इसे कोई नहीं रोक सकता। पुनर्निर्माण की योजनाएं तैयार हैं।" यह बयान इजरायल द्वारा 13 जून से शुरू हुए सैन्य हमलों और अमेरिका द्वारा 21 जून को फोर्डो, नतांज और इस्फहान परमाणु ठिकानों पर B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से किए गए हमलों के बाद आया है।
इजरायल ने दावा किया कि उसने ईरान की परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताओं को "काफी हद तक नष्ट" कर दिया, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन हमलों को "शानदार सैन्य सफलता" करार दिया। हालांकि, सैटेलाइट इमेजरी से पता चलता है कि फोर्डो में आंशिक क्षति हुई, और ईरान ने दावा किया कि उसने हमलों से पहले अपने यूरेनियम भंडार को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर लिया था।
ईरान ने जवाबी कार्रवाई में 23 जून को कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे अल उदेद और इराक में ऐन अल-असद पर मिसाइलें दागीं, जिसे ट्रंप ने "कमजोर प्रतिक्रिया" बताया। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने कहा, "जब तक इजरायल हमले जारी रखेगा, कूटनीति संभव नहीं।"
संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने चेतावनी दी कि हमले मध्य पूर्व में परमाणु आपदा का खतरा पैदा कर सकते हैं। रूस और चीन ने इन हमलों की निंदा की, जबकि यूरोपीय देशों ने डी-एस्कलेशन की अपील की। तेल की कीमतें 7% गिरकर $68.76 प्रति बैरल पर पहुंच गईं, जो युद्ध के बावजूद वैश्विक आपूर्ति की स्थिरता दर्शाता है।
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने कहा, "हम धमकियों के सामने नहीं झुकेंगे।" मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अराकची की मुलाकात और कतर की मध्यस्थता से सीजफायर की कोशिशें नाकाम रहीं, क्योंकि इजरायल ने तेहरान में और हमले किए। यह युद्ध मध्य पूर्व को और अस्थिर कर सकता है।