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जल्लीकट्टू खेल कानूनी है या गैर-कानूनी? मुख्य न्यायाधीश याचिकाओं पर करेंगे विचार

उच्चतम न्यायालय तमिलनाडु में सांडों को वश में करने वाले खेल ‘जल्लीकट्टू’ को अनुमति देने के लिए...
जल्लीकट्टू खेल कानूनी है या गैर-कानूनी? मुख्य न्यायाधीश याचिकाओं पर करेंगे विचार

उच्चतम न्यायालय तमिलनाडु में सांडों को वश में करने वाले खेल ‘जल्लीकट्टू’ को अनुमति देने के लिए राज्य की ओर से कानून में किए गए संशोधनों की वैधता को बरकरार रखने वाले अपने 2023 के फैसले की समीक्षा से संबंधित याचिकाओं पर विचार करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया।

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी की दलीलें सुनते हुए कहा कि समीक्षा याचिकाओं को सूचीबद्ध करने और इन पर विचार करने की जरूरत है।

सीजेआई ने कहा, ‘‘मैं आज (याचिकाओं की सूची पर) ईमेल देखूंगा।’’ आमतौर पर, समीक्षा याचिकाओं पर शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों द्वारा चैंबर में विचार किया जाता है।

न्यायमूर्ति के एम जोसेफ (सेवानिवृत्त) के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पिछले साल 18 मई को तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक के उन संशोधन अधिनियमों की वैधता को बरकरार रखते हुए सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था, जिसमें ‘जल्लीकट्टू’, बैलगाड़ी दौड़ और भैंसा दौड़ ‘कंबाला’ को अनुमति दी गई है।

बता दें कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु के ग्रामीण इलाक़ों का एक परंपरागत खेल है जो पोंगल त्यौहार पर आयोजित कराया जाता है। इसमें बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है। जल्लीकट्टू को तमिलनाडु के गौरव तथा संस्कृति का प्रतीक कहा जाता है। ये 2000 साल पुराना खेल है जो उनकी संस्कृति से जुड़ा है। 

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