कृृृृषि संकट और किसानों की दुर्दशा को देखते हुए महाराष्ट्र और पंजाब में किसानों के फसल कर्ज माफ करने का ऐलान कर दिया है। इस वजह से भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर कर्ज माफी का दबाव बढ़ता जा रहा है। लेकिन अभी तक उनकी तरफ से कर्ज माफी का कोई संकेत नहीं आया है।
इस बीच, नरसिंहपुर और होशंगाबाद जैसे कृृृृषि जिलों से दो किसानों की खुदकुशी की खबर आई है। इस तरह 8 जून के बाद मध्यप्रदेश में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 17 तक पहुंच गई है। होशंगाबाद में 40 वर्षीय बाबूलाल वर्मा ने खुद को आग के हवालेे कर दिया था। वर्मा के परिजनों का आरोप है कि उसने एक साहूकार के उत्पीड़न से तंग आकर यह कदम उठाया। बाबूलाल कर्ज की वजह से बहुत परेशान था।
नरसिंहपुर जिले में 65 वर्षीय किसान लक्ष्मी गुमास्ता ने आज सुबह जहर खाकर जान दे दी। मृतक के परिजनों का कहना है कि उस पर चार लाख रुपये का कर्ज था, जिसे वह लौटा नहीं पा रहा था। बताया जाता है कि दो महीने पहले उसकी फसल आग लगने से तबाह हो गई थी, जिसका उसे कोई मुआवजा भी नहीं मिला। मृतक किसान के शव को लेकर उसके परिजनों और कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने आज रास्ता जाम किया। जिला कलेक्टर आरआर भोंसले की ओर से मुआवजे का आश्वासन मिलने के बाद यह धरना समाप्त हुआ।
मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के हिंसक होने के बाद अनशन पर बैठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों की सभी वाजिब मांगे मानने का भरोसा दिलाया था। उसके बाद प्याज और दालों की सरकारी खरीद शुरू हुई है लेकिन कर्ज माफी के मुद्देे पर मध्यप्रदेश सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया। इस बीच, सिहोर, होशंगाबाद, रायसेन, धार, नीमच और विदिशा जिलों से किसानों की अत्महत्याओं की खबरें आ चुकीे हैं। शिवराज चौहान के गृह जिले सिहोर में तो पिछले दो सप्ताह के दौरान 5 किसान खुदकुशी कर चुके हैं।
आम किसान यूनियन के नेता केदार सिरोही का कहना है कि जो लोग किसान आंदोलन को राजनीति से प्रेरित बता रहे थे, उन्हें खुदकुशी कर रहे इन किसानों की तरफ भी देखना चाहिए। राज्य के जो जिले खेती के लिए मशहूर रहे हैं, वहां से अब किसानों की आत्महत्याओं की खबरें आ रही हैं। उपज के दाम गिरने और लागत भी नहीं निकल पाने की वजह से किसान की हालत खराब है। इस तथ्य से सरकार भी अब मुंह नहीं मोड़ सकती।