राष्ट्रीय राजधानी के एक सिविल सोसायटी समूह प्रहार के अध्ययन में पाया गया कि देश में पिछले चार साल के दौरान हर दिन 550 नौकरियां गायब हुई हैं। इसी आधार पर संस्था ने पाया कि अगर यही रुख जारी रहा तो 2050 तक देश से 70 लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं। अध्ययन में कहा गया है कि देश में आज किसान, छोटे रिटेलर्स, ठेका श्रमिक तथा निर्माण श्रमिक अपनी आजीविका पर ऐसे खतरे का सामना कर रहे हैं जो उन्हें पहले देखने को नहीं मिला है। समूह ने बयान में कहा कि श्रम ब्यूरो के 2016 के शुरू में जारी आंकड़ों के अनुसार 2015 में देश में सिर्फ 1.35 लाख नए रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ। 2013 में 4.19 लाख तथा 2011 में 9 लाख रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ था।
बयान में कहा गया है कि इन आंकड़ों की गहराई से विश्लेषण से और बुरी तस्वीर सामने आती है। रोजगार बढ़ने के बजाय देश में प्रतिदिन 550 रोजगार के अवसर समाप्त हो रहे हैं। इसका मतलब है कि 2050 तक देश में 70 लाख रोजगार समाप्त हो जाएंगे। वहीं इस दौरान देश की आबादी 60 करोड़ बढ़ चुकी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि आंकड़ों से स्पष्ट पता चलता है कि देश में रोजगार सृजन लगातार घट रहा है, जो काफी चिंता की बात है।