Advertisement

एक नजर में जानिए, कांग्रेस के अध्यक्ष पद का इतिहास

हिंदू महासभा के एक प्रमुख नेता से लेकर महात्मा गांधी तक। विदेशी मूल के लोगों से लेकर देश के चारों कोनों...
एक नजर में जानिए, कांग्रेस के अध्यक्ष पद का इतिहास

हिंदू महासभा के एक प्रमुख नेता से लेकर महात्मा गांधी तक। विदेशी मूल के लोगों से लेकर देश के चारों कोनों के लोगों तक। चार महिला अध्यक्ष। तीन नेता जिनकी हत्या कर दी गई। भारत की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी के अध्यक्षों का लम्बा चौड़ा इतिहास है।

कांग्रेस ने करीब 19 साल बाद आज अपने नए अध्यक्ष का स्वागत किया। राहुल गांधी निर्विरोध रूप से कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए गए। हालांकि 16 दिसंबर को वह कार्यभार संभालेंगे और इसी दिन उन्हें नियुक्ति का सर्टिफिकेट दिया जाएगा।

आजादी के बाद 15 लोगों ने 132 साल पुरानी पार्टी का नेतृत्व किया, जिनमें चार गांधी-नेहरू परिवार के थे। अब इस परिवार से राहुल गांधी पांचवें हैं।

नेहरू-गांधी परिवार आजादी के बाद 38 साल तक पार्टी के मामलों में शीर्ष पर रहा। नेहरू तीन साल के लिए अध्यक्ष रहे। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी आठ-आठ साल के लिए और सोनिया गांधी रिकॉर्ड 19 सालों से अध्यक्ष रहीं।

आजादी से पहले, इस परिवार में पार्टी की कमान सबसे पहले मोतीलाल नेहरू ने संभाली थी।

पार्टी के इस पद पर कुछ शानदार लोग रहे। मसलन, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस, अबुल कलाम आजाद और सरोजिनी नायडू।

सोनिया गांधी के विदेशी मूल के बारे में सवाल उठाए जाने के कुछ दशक पहले, पार्टी के पांच अध्यक्ष थे, जिनका जन्म भारत में नहीं हुआ था।

इंडियन नेशनल कांग्रेस (आईएनसी) और उसके अध्यक्षों से जुड़े कुछ तथ्यों पर निगाह डालते हैं।

1- कांग्रेस पार्टी की स्थापना 28 दिसंबर, 1885 को हुई थी। थियोसॉफिकल सोसायटी के सदस्य एलेन और रिटायर्ड सिविल सर्विसेज ऑफिसर ऑक्टेवियन ह्यूम ने दादाभाई नौरोजी, दिनशॉ वाचा जैसे संभ्रांत वर्ग से आने वाले लोगों के साथ इसकी स्थापना की। इसके लिए मद्रास (चेन्नै) में थियोसॉफिकल कन्वें‍शन में 17 लोगों की एक मीटिंग हुई थी, जहां से ये विचार उपजा।

2- इसकी स्थापना का उद्देश्य था कि भारत के पढ़े-लिखे लोगों और ब्रिटिश राज के बीच संवाद कायम किया जा सके। लेकिन धीरे-धीरे ये पार्टी ब्रिटिश राज के खिलाफ एक आंदोलन में तब्दील हो गई।

3- कांग्रेस की पहली मीटिंग पूना (पुणे) में होनी थी लेकिन तब वहां कॉलरा फैल गया था। इसलिए इसे बॉम्बे (मुंबई) शिफ्ट कर दिया गया।

4- वोमेश चंद्र बनर्जी (डब्ल्यू सी बनर्जी), जिन्हें उमेश चंद्र बनर्जी भी कहा जाता है, कांग्रेस के पहले चुने हुए अध्यक्ष थे। 1885 में 28 से 31 दिसंबर तक चलने वाली कांग्रेस की 72 लोगों की पहली मीटिंग में उनका चुनाव हुआ था।

दादा भाई नौरोजी कलकत्ता (कोलकाता) अधिवेशन में 1886 में कांग्रेस के दूसरे अध्यक्ष चुने गए।

5- इससे पहले 1865 में दादा भाई नौरोजी ने लंदन इंडियन सोसायटी बनाई थी, जिसके महासचिव बनर्जी थे।

6- वोमेश चंद्र बनर्जी कलकत्ता में पैदा हुए थे और एक बैरिस्टर थे। वो ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस का चुनाव लड़ने वाले पहले शख्स भी थे, लेकिन चुनाव हार गए थे। उन्होंने ब्रिटिश पार्लियामेंट में जाने के दो असफल प्रयास किए।

7- फिरोज शाह मेहता के बाद 1892 के इलाहाबाद कांग्रेस अधिवेशन में बनर्जी अध्यक्ष थे लेकिन उन्होंने यहां ये पद छोड़ दिया था। इसके बाद वह ब्रिटेन चले गए जहां उन्होंने प्रिवी काउंसिल में वकालत शुरू कर दी। 1892 में दादा भाई नौरोजी ब्रिटिश पार्लियामेंट के लिए चुने जाने वाले पहले भारतीय थे। 1893 में दादा भाई नौरोजी, वोमेश चंद्र बनर्जी और बदरुद्दीन तैयबजी ने इंग्लैंड में पार्लियामेंट्री कमेटी बनाई।

8- 1905 तक कांग्रेस के पास ज्यादा लोगों का समर्थन नहीं था लेकिन लॉर्ड कर्जन के बंगाल विभाजन की घोषणा के बाद सुरेंद्रनाथ बनर्जी जैसे नेताओं ने इसे स्वदेशी से जोड़कर आंदोलन में बदल दिया।

9- 1915 में महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से लौटे। 1919 तक पहले विश्व युद्ध के खत्म होने तक गांधी कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे बन गए साथ ही देश के सबसे बड़े नेता भी। 1924 में बेलगाम अधिवेशन में उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया।

10- कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष एनी बेसेंट थीं, जबकि पहली भारतीय महिला अध्यक्ष सरोजिनी नायडू थीं।

11- 1951 से 1954 तक जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे। 1959 में उनकी बेटी इंदिरा गांधी अध्यक्ष बनीं। इसके बाद वो 1978 से 84 तक अध्यक्ष थीं।

12- इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बेटे राजीव गांधी को अध्यक्ष बनाया गया। राजीव 1991 तक अध्यक्ष रहे।

13- 1992 से 96 तक नरसिम्हा राव और 1996 से 98 तक सीताराम केसरी ने कांग्रेस की कमान संभाली। 1998 में सोनिया गांधी को अध्यक्ष चुना गया। वह सबसे लम्बे समय (करीब 19 साल) तक कांग्रेस की अध्यक्ष रही हैं।

14- प्रणब मुखर्जी द्वारा संपादित ‘कांग्रेस एंड द मेकिंग ऑफ इंडियन नेशन’ के मुताबिक 1888 में जार्ज यूल पार्टी के अध्यक्ष थे और उन्होंने इलाहाबाद अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। इंडियन सिविल सर्विस के पूर्व सदस्य सर विलियम वेडरबर्न ने दो बार पार्टी का नेतृत्व किया- 1889 और 1910 में।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad