आप के नेता एल्विस गोमेज ने कहा, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले दिनों राजमार्गों पर शराब की दुकानों के बारे में फैसला सुनाए जाने के बाद जिस तरह की स्थिति पैदा हुई है उससे निपटने में सरकार ने जो रवैया अपनाया है, हम उसपर गहरी चिंता जताते हैं।
गौमेज ने कहा कि गोवा में सरकार और विपक्ष दोनों ही शीर्ष न्यायालय में दो साल की कार्यवाही के दौरान मुद्दे की गंभीरता को समझाने में विफल रहे हैं।
साथ ही, गोमेज ने एक सवाल के तौर पर कहा कि गोवा ने सिक्किम और मेघालय की तरह अपना पक्ष क्यों नहीं रखा और गोवा के लिए छूट एवं विशेष प्रावधानों की मांग क्यों नहीं की? उन्होंने मांग उठाई कि गोवा सरकार को जहां भी कानूनी रूप से संभव हो, वहां राज्य के राजमार्गों को अधिसूची से बाहर करवाने के लिए काम करना चाहिए। जिन राष्ट्रीय राजमार्गों पर बाय पास सड़कें पहले से ही हैं, उन हिस्सों को भी अधिसूचना से हटाया जाना चाहिए।
गोमेज ने कहा कि इस बीच गोवा के महाधिवक्ता कार्यालय और राज्य के विधि विभाग को निर्देश देना चाहिए कि वह गोवा की 105 किलोमीटर लंबी तटरेखा और 33 प्रतिशत वनक्षेत्र का हवाला देते हुए शीर्ष न्यायालय से संपर्क करें ।
गौरतलब है कि मंगलवाल को मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि उनकी सरकार आदेश पर पूर्ण स्पष्टीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करने पर विचार कर रही है और वह पर्यटन राज्य पर विशेष गौर करने की मांग भी कर सकती है। भाषा