खेर ने कश्मीरी पंडितों को सलाह दी कि वे अपने बच्चों को कश्मीरी भाषा सिखाएं। दिवंगत वकील प्रेम नाथ भट की बरसी पर जम्मू में आयोजित एक कार्यक्रम में खेर ने कहा, कश्मीरी पंडितों की प्रगति कोई नहीं रोक सकता। आपको अपने जख्म हरे रखने चाहिए। आपको भी रास्ता तलाशना होगा। खेर ने कहा, भीख मांग कर हमें कटोरे में कुछ नहीं लेना। हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना है। जब हम आजादी के लिए जंग लड़ रहे थे तो हम अपने अधिकारों के लिए लड़े और इसी से हमें जीत मिलेगी।
अनुच्छेद 370 हटने से ही सुलझेगी कश्मीर समस्या: खेर
अनुपम खेर ने शनिवार को कहा था कि जिस दिन संविधान का अनुच्छेद 370 हटेगा और बंगाल, पंजाब, गुजरात तथा देश के अन्य भागों के लोगों को जम्मू कश्मीर में बसने की अनुमति होगी, उस दिन कश्मीर समस्या सुलझ जाएगी। खुद एक कश्मीरी पंडित खेर ने समुदाय के लिए एक अलग टाउनशिप का मजबूती से समर्थन किया और कहा कि यह केवल मांग नहीं बल्कि उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। मिश्रित टाउनशिप के सवाल पर खेर ने कहा था कि कश्मीर में कश्मीरी पंडित की कालोनियों को स्थापित होने दीजिए और इसके बाद अगर अन्य लोग बसना चाहते हैं तो उन्हें बसने दीजिए।
कश्मीरी पंडितों ने दोहरायी होमलैंड की मांग
कई राज्यों के विभिन्न दक्षिणपंथी संगठनों ने आज दिल्ली में विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय के संघर्ष को समर्थन दिया और अलग होमलैंड के लिए लंबे समय से की जा रही मांग को दोहराया। इसी दिन 1991 में कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर घाटी के भीतर अलग होमलैंड की मांग की थी और इसे पनून (हमारा) कश्मीर बताया। कश्मीरी पंडित समुदाय 28 दिसंबर को होमलैंड दिवस के रूप में मनाता है।
सन 1991 में पारित प्रस्ताव सात लाख विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए झेलम नदी के उत्तर और पूर्व में अलग होमलैंड की वकालत करता है। 'पनून कश्मीर' के संयोजक अग्निशेखर ने कहा, इस दिन हम अलग होमलैंड की अपनी मांग को दोहराना जारी रखेंगे। 19 जनवरी (1990) को जो विस्थापन हुआ था, वह हम कश्मीरी पंडितों का नहीं बल्कि भारत की भावना का विस्थापन था और हम उस भावना को बहाल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, हम यह भी चाहते हैं कि हमारे भाई-बहनों की हत्या को नरसंहार घोषित किया जाए और उस अवधि के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए एक न्यायाधिकरण स्थापित किया जाए।