केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की 100 अतिरिक्त टुकड़ियों की तैनाती को मंजूरी दी है ताकि आतंकवाद विरोधी ग्रिड को मजबूत किया जा सके और राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखा जा सके।
अतिरिक्त सुरक्षा तैनात करने का निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की घाटी की दो दिवसीय यात्रा के तीन दिन बाद लिया गया है। अपनी यात्रा के दौरान डोभाल ने सुरक्षा बलों के शीर्ष अधिकारियों और खुफिया एजेंसियों के साथ बैठक की थी।
100 कंपनियों में 50 सीआरपीएफ, 10 बीएसएफ, 30 एसएसबी और 10 आईटीबीपी की होंगी।
हालांकि, तैनाती से कश्मीर के लोगों में नई चिंता पैदा हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इस कदम से लोगों में डर की मनोविकृति पैदा हुई है। उन्होंने ट्वीट किया, “कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है। जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है जिसे सैन्य तरीकों से हल नहीं किया जाएगा। भारत सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार और सुधार करना होगा।”
केन्द्र के फैसले से अब यह अफवाहें उड़ रही हैं कि भाजपा सरकार अपनी सरकार के पहले 100 दिनों के भीतर राज्य में अनुच्छेद 370 और 35A को भंग कर सकती है।
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा, "यह आश्चर्य की बात है, घाटी में लोगों को शांत करने और लोगों को आश्वस्त करने के बजाय, प्रशासन का एक बड़ा वर्ग लोगों को डराने की कोशिश में व्यस्त है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा अफवाह फैलाने के चलते घाटी में लोग चिंता से गुजर रहे हैं। उमर अब्दुल्ला ने कहा, "जो भी सरकारी कार्यालयों में जाता है, उसे 15 अगस्त से पहले आवश्यक घरेलू सामान और अन्य सामानों को स्टॉक करने की चेतावनी दी जाती है। यहां चिंताजनक बात यह है कि प्रशासन में ही लोगों द्वारा अफवाहें उड़ाई जा रही हैं।"