नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से घिरे आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी पर अडानी और वीडियोकॉन समूह को फायदा पहुंचाने के आरोपों का खुलासा हुआ है। अरुण जेटली की ओर से बीबीसीआई को सौंपी गई अनुशासन समिति की एक रिपोर्ट में ललित मोदी को आईपीएल फ्रेंचाइजी की नीलामी के दौरान अडानी और वीडियोकॉन समूह का पक्ष लेना का दोषी पाया गया है।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर में अरुण जेटली की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में ललित मोदी पर लगे इन आरोपों का खुलासा हुआ है। इस तरह ललितगेट की आंच अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले अडानी समूह तक पहुंच गई है। क्रिकेट, राजनीति और हितों के टकराव के इस खेल में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा का बचाव करना भाजपा के लिए पहले ही मुश्किल साबित हो रहा है। ऐसे में अडानी का नाम आने से मामला और भी पेचीदा हो सकता है। गौरतलब है कि क्रिकेट के काराेबार से अडानी समूह का भी पुराना नाता है। वर्ष 2010 में नरेंद्र मोदी गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष थे और अडानी समूह भी जीएसीए का लंबे समय से कमर्शियल पार्टनर है। क्रिकेट की राजनीति को बखूबी समझने वाले भाजपा के नेता कीर्ति आजाद ललितगेट प्रकरण में अस्तीन के सांप की बात कहकर अंदरुनी खेलों की ओर पहले ही इशारा कर चुके हैं।
अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, अनुशासन समिति की जांच में खुलासा हुआ है कि तत्कालीन आईपीएल चेयरमैन ने आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की मंजूरी या जानकारी के बगैर टेंडर आवेदन में बेवजह की दो शर्तें जोड़ दी थी। आईपीएल में बोली लगाने के लिए एक अरब डॉलर की कुल संपत्ति और 460 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी की इन शर्तों के चलते कई समूह नीलामी प्रक्रिया से बाहर हो गए। जबकि मूल मसौदे में ये विवादित शर्तें शामिल नहीं थीं। नतीजा यह हुआ कि सिर्फ दो बोली लग पाईं और इस मामले पर अन्य पक्षों के ऐतराज के बाद बीसीसीआई को टेंडर की पूरी प्रक्रिया रद्द करनी पड़ी थी। जिस समय यह रिपोर्ट बीसीसीआई को सौंपी गई, अरुण जेटली बीसीसीआई के उपाध्यक्ष थे और उनके अलावा इस अनुशासन समिति में ज्योतिरादित्य सिंधिया और चिरायु अमीन भी शामिल थे।
इस रिपोर्ट के अनुसार, “इस तरह की शर्तें शामिल करते हुए ललित मोदी ने गवर्निंग काउंसिल की अनुमति नहीं ली। बेवजह की ऐसी शर्तों का मकसद स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा को खत्म करना और बोली लगाने वाले दो पक्षों को फायदा पहुंचाना था। सिर्फ दो निविदाएं आने से भी यह बात साबित होती है।”
अपने बचाव में ललित मोदी ने कहा था कि आईपीएल की फ्रेंचाइजी आठवें साल में जाकर मुनाफे में आएंगे इसलिए कुल संपत्ति की शर्तं पर जोर दिया गया। बैंक गारंटी की शर्त का यह कहते हुए बचाव किया गया कि इससे आईपीएल का स्थायित्व सुनिश्चित हुआ। इन शर्तों को बाद में शामिल करने की बात स्वीकार करते हुए ललित मोदी ने दावा किया था कि उन्हें बीसीसीआई अध्यक्ष शशंक मनोहर से मौखिक अनुमति हासिल थी।