जाकिर ने सरकार और देशवासियों को लिखे एक खुले पत्र में कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया, जिससे उन्हें देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाए और उनकी अनुपस्थिति के कारण ही उनके संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर प्रतिबंध की मांग की जा रही है।
इस पत्र में उन्होंने कहा, 'अगर आईआरएफ और मुझ पर प्रतिबंध लगाया गया तो हालिया समय में यह देश के लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा झटका होगा। मैं ऐसा सिर्फ खुद के लिए नहीं कह रहा हूं क्योंकि यह प्रतिबंध भारत के 20 करोड़ मुसलमानों के खिलाफ अन्याय के रूप में काम करेगा।'
नाइक ने कहा, 'यह हमला सिर्फ मेरे ऊपर नहीं है, बल्कि यह भारतीय मुसलमानों के खिलाफ है। यह हमला शांति, लोकतंत्र और न्याय के खिलाफ हमला है।' उन्होंने कहा कि उनके संगठन पर प्रतिबंध वाला कदम मुख्यधारा से कटे हर तत्व को अपने मनमुताबिक कदम उठाने को प्रेरित करेगा।
खुद को मुसलमानों के बीच सबसे बड़ा और लोकप्रिय शख्स बताते हुए नाइक ने कहा, 'अगर आप मुस्लिम समुदाय के इस शख्स को नीचा दिखाएंगे और उसे शैतान के रूप में पेश करेंगे तो बाकी सब बिल्कुल आसान हो जाएगा। इसलिए मैं सोचता हूं कि जो भी हो रहा है वह एक साजिश है, और ईमानदारी से कहूं तो मुझे और कोई वजह नहीं दिख रही।'
जाकिर नाइक पर भड़काऊ भाषण देकर लोगों को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसाने का आरोप है। हाल में ही बांग्लादेश की राजधानी ढाका के एक पॉश रेस्तरां पर हुए आतंकी हमले में जो लोग शामिल थे, वह भी कथित तौर पर जाकिर के भाषणों से प्रेरित बताए गए हैं।