न्यू टाउन को पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार ने आईटी हब के रूप में विकसित किया था। यहां चौड़ी सड़कें हैं और आधुनिक इमारतें बनी हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जिन 33 शहरी इलाकों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए चुना था, उनमें एक न्यू टाउन भी था। स्मार्ट सिटी योजना परियोजना के तहत वर्ष 2022 तक देश में कुल एक सौ स्मार्ट शहर बनाए जाने हैं।
इन शहरों को इंटरनेट कनेक्टिविटी, अत्याधुनिक रहन-सहन लायक उच्च गुणवत्ता वाली ढांचागत सुविधाएं, आईटी से जुड़े पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम एवं कचरा प्रबंधन की सुविधा से जोड़ा जाना है। हर स्मार्ट सिटी के लिए पांच साल में केंद्र सरकार पांच सौ करोड़ रुपए देगी। राज्य सरकारों की हिस्सेदारी भी इतनी ही होगी।
अब बंगाल ऐसा पहला राज्य बन गया है, जो स्मार्ट सिटी परियोजना से बाहर आ रहा है। राज्य सरकार ने अपने फैसले की जानकारी केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर दे दी है। तृणमूल कांग्रेस के एक नेता के अनुसार, हमने केंद्रीय मंत्रालय को बताया है कि एक स्मार्ट शहर को विकसित करने के लिए पांच सौ करोड़ रुपए खर्च करने की जगह हम अपनी जरूरत के अनुसार ज्यादा से ज्यादा शहर विकसित करेंगे। राजारहाट समेत अगले पांच साल में हम 10 हरित शहर विकसित कर रहे हैं।
बंगाल सरकार ने चार शहरों- कोलकाता, विधान नगर, हल्दिया और न्यू टाउन को स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए प्रस्तावित किया था। इसमें से केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने न्यू टाउन को चुना था। शहरी विकास मंत्रालय के एक प्रवक्ता के अनुसार, हम अंतिम फैसला करने के पहले राज्य सरकार से बातचीत करेंगे। दरअसल, राज्य सरकार को आपत्ति केंद्र सरकार के उस गाइडलाइन को लेकर है कि स्मार्ट सिटी की म्युनिसीपैलिटी के अधिकारी ज्यादा से ज्यादा फंड जुटाने के लिए ज्यादा से ज्यादा टैक्स वसूलें। राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र ऐसा निर्देश नहीं दे सकता। हम अपनी जरूरतों के लिहाज से टैक्स तय करते हैं।