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BHU: जहां वीसी साहब कैंपस में 'राष्ट्रवाद' बचा रहे वहीं लाठीचार्ज के विरोध में उतरी एबीवीपी

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के अंदर छात्राओं पर पुलिस लाठीचार्ज को लेकर अब आरएसएस का छात्र संगठन...
BHU: जहां वीसी साहब कैंपस में 'राष्ट्रवाद' बचा रहे वहीं लाठीचार्ज के विरोध में उतरी एबीवीपी

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के अंदर छात्राओं पर पुलिस लाठीचार्ज को लेकर अब आरएसएस का छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) भी विरोध में उतर आया है। छात्राओं पर लाठीचार्ज के खिलाफ दिल्ली में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सामने एबीवीपी ने विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन करते हुए एबीवीपी के कार्यकर्ता शास्त्री भवन गेट तक पहुंच गए। एबीवीपी कार्यकर्ताओं की मंत्रालय के सामने सुरक्षाबलों से झड़प भी हुई। 

यह विरोध तब हो रहा है जब बीबीसी के मुताबिक, बीएचयू के वीसी गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा है कि बीएचयू कैंपस से राष्ट्रवाद खत्म नहीं होने देंगे। जाहिर है, एबीवीपी भी राष्ट्रवाद के मुद्दे को भुनाती है। उसी राष्ट्रवाद की बात वीसी कर रहे हैं। ये दोनों बातें विरोधाभासी लगती हैं। ये कैसा राष्ट्रवाद है जहां लड़कियों के साथ छेड़खानी होती है और उन्हें सुरक्षा देने की बजाय लाठियां मिलती हैं? एबीवीपी को भी अब प्रतीकात्मक तौर पर ही सही, इसका विरोध करना पड़ रहा है। 

बीएचयू के वीसी गिरीश चंद्र त्रिपाठी का यह भी कहना है कि दिल्ली और इलाहाबाद के कुछ अराजक तत्व यहां आकर माहौल ख़राब कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शनिवार रात बीएचयू कैंपस के भीतर जो पुलिस कार्रवाई हुई वो उन्हीं तत्वों की वजह से हुई।

विश्वविद्यालय में इन दिनों छात्रों का एक समूह ये कहते हुए मिल रहा है कि 'बीएचयू को जेएनयू नहीं बनने देंगे।' इस बात से प्रोफ़ेसर त्रिपाठी भी इस बात में हां में हां मिलाते दिखे। बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, "जेएनयू अपनी अकादमिक ख़ूबी के लिए कम जाना जाता है, लेकिन एक ऐसे समुदाय के कार्यों की वजह से ज़्यादा जाना जाता है जो राष्ट्र को सिर्फ़ एक भूभाग समझते हैं. लेकिन बीएचयू छात्रों के भीतर राष्ट्रवादी भावना को पोषित करने का काम करता रहा है और उसकी ये परंपरा हम किसी क़ीमत पर खंडित नहीं होने देंगे।"

वाराणसी में पुलिसकर्मियों के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रावास में घुसकर छात्राओं पर लाठीचार्ज करने को लेकर प्रदेश की योगी सरकार की जमकर आलोचना हो रही है। किरकिरी होने पर इस मामले में कार्रवाई करते हुए लंका पुलिस स्टेशन के एसओ, भेलापुर के सर्किल ऑफिसर और अडिशनल सिटी मजिस्ट्रेट को हटा दिया गया है। छात्राओं पर पुलिस की इस बर्बरता के बाद ना सिर्फ पुलिस बल्कि योगी सरकार लोगों के निशाने पर आ गई थी। तमाम विपक्षी दलों ने इस घटना के बाद योगी सरकार और मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला।

लाठीचार्ज के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने भी विरोध प्रदर्शन किया। सपा कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी के गेट पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन करने के साथ ही नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद के नारे लगाए। 48 घंटे से सुलग रहे बीएचयू का पूरा परिसर पुलिस की छावनी में तब्दील हो चुका है। सपा ने छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज को लेकर अपना जांच दल भेजने का ऐलान किया था, जिसमें विधायक, जिलाध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष, दो एमएलसी और छात्र नेता शामिल थे। सपा के जिलाध्यक्ष पीयूष यादव ने कहा कि शासन और प्रशासन ने दमनकारी नीति अपनाते हुए उन्हें अंदर नहीं जाने दिया।

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