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कीर्ति आजाद ने खोली डीडीसीए में फर्जीवाड़े की पूरी पोल

अपने ऐलान पर खरा उतरते हुए पूर्व क्रिकेटर और भाजपा सांसद कीर्ति आजाद में डीडीसीए में हुए कथित फर्जीवाड़े का विस्‍तार से खुलासा किया है। हालांकि, डीडीसीए से जुड़े इनमें से अधिकांश आरोप पहले से उजागर हो चुके हैं।
कीर्ति आजाद ने खोली डीडीसीए में फर्जीवाड़े की पूरी पोल

कीर्ति आजाद ने प्रेस कांफ्रेस में डीडीसीए के कथित भ्रष्‍टाचार का खुलासा करने के लिए कई वीडियो भी दिखाए जिन्हें विकिलीक्स4इंडिया की मदद से तैयार किया गया है। आजाद ने बताया कि किस तरह डीडीसीए में कई फर्जी कंपनियां बनाकर करोड़ों रुपये की धांधलियां की गईं। उन्‍हाेंने डीडीसीए के वकील और एकाउंटेंट पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कीर्ति आजाद ने कहा कि वह किसी व्‍यक्ति विशेष नहीं बल्कि भ्रष्‍टाचार के खिलाफ हैं और प्रधानमंत्री मोदी व भ्रष्‍टाचार के खिलाफ उनके अभियान के बड़े प्रशंसक हैं। 

कीर्ति आजाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीडीसीए में कथित घोटाले के सबूत के तौर पर 30 दिसंबर 2012 को हुई डीडीसीए की सालाना बैठक की सीडी भी दिखाई। इस सीडी में कीर्ति अरुण जेटली से तीखी बहस करते दिखाई दे रहे हैं। गौरतलब है कि भाजपा के वरिष्‍ठ नेताओं ने कीर्ति आजाद को डीडीसीए के मुद्दे पर ज्‍यादा नहीं बोलने की हिदायत दी थी, लेकिन उन्‍होंने इसकी परवाह किए बगैर अपनी मुहिम जारी रखी है। इस प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कीर्ति आजाद के साथ पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्‍तान बिशन सिंह बेदी और सुरिंदर खन्‍ना भी मौजूद थे। 

कीर्ति आजाद के डीडीसीए पर आरोप 

- डीडीसीए ने कई फर्जी कंपनियों के साथ करार किए। जिन कंपनियों से करार किए गए, उनके पते फर्जी निकले।

- किराये पर लिए सामान में बड़े पैमाने पर धांधलियां। लैपटॉप का किराया 16500 रुपये, प्रिंटर का किराया 3 हजार और पूजा की थाली 5 हजार रुपये की। 

- डीडीसीए से जुड़ी 14 फर्जी कंपनियां सामने आईं। फर्जी कंपनियों को बगैर ठेके दिए गए, पेमेंट हुआ और बिलों को पास करने से पहले लेकिन कोई वेरि‍फिकेशन नहीं हुआ।

- बिलों को पास करने से पहले एग्जिक्‍यूटिव स्तर की कोई भी बैठक नहीं हुई। 

- डीडीसीए के सदस्य टेंडर की कीमतों से छेड़छाड़ करते थे। 

- डीडीसीए  के लिए मुकदमे लड़ने वाले वकील को कंपनी लॉ बोर्ड का सदस्‍य बनाया गया जो साफ तौर पर हितों के टकराव का मामला है। 

- डीडीसीए घोटाले में शामिल कंपनियों को चेक के बजाय कैश पेमेंट होता था। 

- डीडीसीए ने जिन कंपनियों को ठेके दिए उनमें से कई कंपनियों के पते फर्जी निकले। 

- 24 करोड़ का ठेका बढ़कर 57 करोड़ रुपये हुआ।

- डीडीसीए के ऑडिटर ने भी खातों में फर्जीवाड़ा किया।

- बीसीसीआई हर राज्‍य के क्रिकेट एसोसिएशनों को हर साल करोड़ों रुपये मैच आयोजन, स्‍टेडियमों के रखरखाव आदि के लिए देती है, लेकिन ये एसोसिएशन इन करोड़ों रुपये को कहां डकार जाती है, इसका पता नहीं चल पाता।

- डीडीसीए के कथित घोटाले का खुलासा करते हुए इन मामलों की मनी लॉन्ड्र‍िंग कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराने की मांग की है। 

 

 

 

 

 

 

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