दरअसल पूर्वोत्तर के शहर दीमापुर में मंगलवार को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने हरियाणा के हिसार से एक चार्टर्ड विमान से ले जाए गए साढ़े तीन करोड़ रुपये के 500 और 1000 रुपये के पुराने पकड़े थे और इसमें बिहार का एक कारोबारी भी पकड़ा गया था। बाद में नाटकीय ढंग से यह रकम गायब हो गई थी। मीडिया में हल्ला मचने के बाद बुधवार को नगालैंड के पुलिस प्रमुख एलएल दोंगल ने जानकारी दी कि सीआईएसएफ द्वारा जब्त राशि आयकर विभाग के हवाले कर दी गई थी। बाद में नगालैंड के लोकसभा सांसद रियो के दामाद और बिजनेसमैन अनाटो झिमोमी ने आयकर छूट से संबंधित कागजात दिखाकर इस रुपये पर अपना दावा किया और रुपये उनके हवाले कर दिए गए। हालांकि झिमोमी को अब गिरफ्तार कर लिया गया है सूत्रों के अनुसार उन्होंने पूछताछ में कबूल किया है कि हिसार के रास्ते वे कम से कम 11 करोड़ रुपये पूर्वोत्तर ले गए हैं। सात करोड़ रुपये उनके एक्सिस बैंक खाते में जमा कराए गए हैं जो कि आरटीजीएस के जरिये पैसे के असली मालिकों तक पहुंचानी थी मगर उससे पहले ही पैसों की एक खेप पकड़ी गई।
यहां सवाल उठता है कि आखिर पुराने नोटों का यह काला धन पूर्वोत्तर के राज्यों में ले जाने के पीछे वजह क्या है। दरअसल आयकर कानून के तहत समाज के कुछ तबकों को आयकर से पूर्ण छूट प्राप्त है। इसमें पूर्वोत्तर के राज्यों नगालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के अनुसूचित जनजाति के लोग शामिल हैं। इन्हें किसी भी स्रोत से हासिल होने वाले पैसे पर पूर्ण आयकर छूट मिलती है और इसी नियम का फायदा उठाकर देश के दूसरे हिस्सों के काला धन रखने वाले बिजनेस मैन अपना पैसा अवैध तरीके से यहां भेजकर ट्राइब्स के लोगों के खातों में जमा करवाते हैं और फिर बाद में कानूनी तरीके से पैसा अपने खाते में ट्रांसफर करवा रहे हैं। झिमोमी ने पूछताछ में अधिकारियों को बताया है कि पैसा ले जाने के लिए हिसार को इस लिए चुना गया क्योंकि छोटा हवाईअड्डा होने के कारण वहां सुरक्षा व्यवस्था नगण्य है और पैसे आराम से चार्टर्ड हवाई जहाज में पहुंचे जाते हैं। हालांकि अब उम्मीद है कि इस गोरखधंधे पर रोक लग जाएगी।