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बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया आदर्श सोसायटी को गिराने का आदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई के विवादित आदर्श सोसाइटी की इमारत को गिराने का आदेश दिया। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि इसका निर्माण अवैध तरीके से हुआ था। अदालत ने अधिकारों के दुरूपयोग के लिए राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों के खिलाफ कार्रवाई करने पर भी विचार करने को कहा।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया आदर्श सोसायटी को गिराने का आदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को दक्षिण मुंबई के कोलाबा इलाके में स्थित आदर्श सोसाइटी को गिराने का आदेश दिया। हालांकि आदर्श हाउसिंग सोसाइटी की अर्जी पर एक खंडपीठ ने इस आदेश के क्रियंवयन पर 12 सप्ताह के लिए रोक लगा दी ताकि वह उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकें। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि इमारत को याचिकाकर्ताओं के खर्च पर गिराया जाना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से कहा कि अगर अब तक ऐसा नहीं हुआ है तो वे नौकरशाहों, मंत्रियों और राजनीतिज्ञों के खिलाफ आदर्श सोसाइटी के लिए उक्त प्लॉट प्राप्त करने में विभिन्न अपराधों के लिए दीवानी और आपराधिक कार्यवाही शुरू करने पर विचार करें। इसके साथ ही उनके खिलाफ शक्तियों के दुरूपयोग के लिए भी मामला चलाया जाए।

 

यह आदेश एक खुली अदालत में न्यायमूर्ति आर वी मोरे और न्यायमूर्ति आर जी केतकर की एक पीठ ने आदर्श सोसाइटी की ओर से दायर कई याचिकाओं पर दिया। आदर्श सोसाइटी ने उक्त याचिका केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के ध्वस्तीकरण आदेश तथा रक्षा मंत्रालय की ओर से जमीन के मालिकाना हक के लिए दायर वाद को चुनौती देते हुए दायर की थी। रक्षा मंत्रालय ने उक्त वाद में दावा किया था कि जिस जमीन पर 31 मंजिला इमारत खड़ी की गई थी, वह उसकी है। पीठ ने कहा, अनुशासनात्मक प्राधिकार उच्च न्यायालय के निष्कर्ष से प्रभावित हुए बिना कानून के मुताबिक निर्णय लेगा।

 

पीठ ने शिकायकर्ता एवं नेशनल अलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट सदस्य सिमप्रीत सिंह के प्रति अपनी प्रशंसा रिकॉर्ड में रखी। न्यायाधीशों ने कहा, इस हस्तक्षेप के चलते शायद याचिकाकर्ताओं (आदर्श सोसाइटी) की ओर से घोर उल्लंघन होता पाया गया। साथ ही अदालत ने आदर्श सोसाइटी से कहा कि वह छह प्रतिवादियों को एक-एक लाख रूपये का भुगतान खर्च के तौर पर करे जिसमें पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के निदेशक भरत भूषण, सलाहकार एवं सक्षम प्राधिकार, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय नलिनी भट्ट, बृहन्मुम्बई महानगरपालिका के पूर्व आयुक्त (बीएमसी) सीताराम कुंटे एवं तीन अन्य शामिल हैं।

 

आदर्श हाउसिंग घोटाले ने 2010 में एक राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था, जिसके कारण राज्य के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को पद से त्यागपत्र देने के लिए बाध्य होना पड़ा था। उक्त हाउसिंग परियोजना मुंबई में एक प्रमुख जमीन पर निर्मित है। यह जमीन भूतपूर्व सैनिकों एवं शहीद सैनिकों की पत्नियों के कल्याण के लिए थी। यद्यपि कई प्रभावशाली राजनीतिज्ञों और शीर्ष नौकरशाहों ने कथित रूप से अपने और नजदीकी रिश्तेदारों को योजना का लाभ दिलाने के लिए नियमों को पलट दिया। सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र के कार्यकारी एडवोकेट जनरल रोहित देव ने राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया कि वह आदर्श सोसाइटी की ओर से उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने के लिए मांगे गए स्थगन का विरोध कर रहे हैं। आदर्श सोसाइटी ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के ध्वस्तीकरण आदेश को चुनौती देते हुए 2011 में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।

 

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