मोदी सरकार जहां मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की योजना पर आगे बढ़ रही है, वहीं एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) आवेदन के जरिए यह जानकारी मिली है कि इस क्षेत्र की ट्रेनों में 40 फीसदी सीटें खाली रहती हैं और इससे पश्चिम रेलवे को भारी नुकसान हो रहा है।
एनडीटीवी की मुताबिक, महाराष्ट्र के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गाडगिल ने सूचना का अधिकार के जरिए पश्चिम रेलवे से मुंबई-अहमदाबाद रुट पर चलने वाली ट्रेनों से संबंधित कई जानकारियां हासिल की। पश्चिम रेलवे के मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक, मंजीत सिंह ने गाडकिल को जानकारी दी कि 1 जुलाई 2017 से 30 सितंबर 2017 के बीच इस रुट पर चलने वालीं 32 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की 40 प्रतिशत सीटें खाली रहीं। कुल 32 ट्रेनों की 7,35.630 सीटों में से केवल 4,41,795 सीटें ही बुक हो पाईं। इस वजह से रेलवे को 14 करोड़ से ज्यादा का घाटा हुआ है।
इसी तरह अहमदाबाद से मुंबई रुट पर चलने वाली 31 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की 7,06,446 सीटों में से सिर्फ 3,98,002 यात्रियों ने सफर किया। इसके चलते रेलवे को 15 करोड़ से ज्यादा की राशि का घाटा हुआ है। इस हिसाब से अहमदाबाद से मुंबई और मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलने वाली ट्रेनों में 40 प्रतिशत सीटें खाली रहने की वजह से पिछले तीन महीनों में रेलवे को 29.92 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है।
इस रुट पर दूरंतो, शताब्दी, गुजरात मेल जैसी कई सुपरफास्ट ट्रेने चलती हैं। आरटीआई के मुताबिक इस रुट मुंबई से अहमदाबाद के लिए जाने वाली चेयर कार ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस की 72,696 सीटों में सिर्फ 36,117 सीटें ही बुक हो पाई। खास बात ये है कि इस ट्रेन की 8216 महंगी सीटों में सिर्फ 3468 सीटें ही बिक सकीं। वहीं दूसरी तरफ मुंबई की तरफ जाने वाली इस ट्रेन की 7505 सीटों में से मात्र 1469 सीटें ही बुक हो सकीं।
आंकड़ों से पता चलता है कि ज्यादातर यात्री स्लीपर क्लास से सफर कर रहे् हैं और महंगी टिकटों वाली सीटें खाली जा रही हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि इसी रुट पर केन्द्र सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन चलाने की आधारशिला रखी है और बुलेट ट्रेन के टिकटों का दाम मौजूदों ट्रनों की महंगी टिकटों से कहीं ज्यादा होगा।
पिछले महीने प्रधान मंत्री मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे की मेजबानी की थी, जहां दोनों नेताओं ने महत्वाकांक्षी 1.10 लाख करोड़ रुपये की बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए नींव रखी थी। 2023 में इस परियोजना के पूरी हो जाने के बाद, 250 किमी प्रति घंटे की औसत गति से ट्रेन के चलने की उम्मीद है। यह भारत में सबसे तेज चलने वाली ट्रेन की अधिकतम गति से दोगुने से अधिक है।